
नेशनल ज्यूडिशल डेटा ग्रिड पर 24 जून तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश की विभिन्न अदालतों में 2,20,75,329 मामले लंबित हैं। इनमें से 31,45,059 (14.25 फीसद) मामलों के बारे में यह तय नहीं है कि उनकी कब सुनवाई होगी।
ऐसे मामले जिनकी अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं होती है उन्हें "अनडेटेड केस" के तौर पर जाना जाता है। इस तरह के 31 लाख से अधिक मामलों में 21,75,750 आपराधिक और 9,69,309 दीवानी मामले हैं। आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात (20.46 फीसद) में सबसे ज्यादा अनडेटेड मामले हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल (14.96 फीसद), मध्य प्रदेश (13.13 फीसद) और दिल्ली (3.22 फीसद) का स्थान है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति की हुई बैठक में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अनडेटेड मामलों में कमी लाने के लिए प्रोत्साहन दिए जाने की सलाह दी थी। यह समिति 2004 में बनाई गई थी। इसका मकसद भारतीय न्यायपालिका के कंप्यूटरीकरण, तकनीकी राय देने और प्रबंधन संबंधित बदलावों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की मदद करना है। दो करोड़ से ज्यादा लंबित मामलों में से 21,72,411 दस साल से ज्यादा समय लटके पड़े हैं। जबकि 83 लाख केस दो साल से कम समय से लंबित हैं।