नईदिल्ली। मथुरा हिंसा में यूपी पुलिस की कई खामियां सामने आ रहीं हैं। जहां एक ओर पुलिसकर्मी अपने ही एसपी को अकेला छोड़कर भाग गए वहीं एसएसपी और डीएम की लापरवाही ने भी हादसे को बड़ा कर दिया। जवाहर बाग में जब गुंडों ने फायरिंग शुरू की तो पुलिस तत्काल जवाबी फायरिंग नहीं कर पाई। वो आदेश का इंतजार कर रही थी। एसपी मोर्चा संभाले हुए थे कि गुंडों ने उन्हे घेर लिया और उनके साथ आए सभी आठों सिपाहियों ने उन्हे अकेला छोड़ दिया।
एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी दो जून की शाम को करीब साढ़े चार बजे पुलिस लाइन से एक कंपनी पीएसी, अपने आठ हमराह, दो सीओ के साथ जवाहर बाग के लिए निकले थे। जवाहर बाग में पहुंचकर जेसीबी से बाग की बाउंड्री तुड़वाकर भीतर दाखिल होने का रास्ता बनवाया।
इसी दौरान पेड़ों पर बैठे कब्जाधारियों ने फोर्स पर हमला बोल दिया और एसपी सिटी को घेर लिया। एसपी सिटी ने उनको समझाने की काफी कोशिश की। कहा कि वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। अदालत से जवाहर बाग को खाली कराने का आदेश हो चुका है लिहाजा वह फैसले का सम्मान करते हुए बाग को खाली कर दें लेकिन भीड़ ने उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। यह देख पुलिसकर्मी वहां से पीछे हट गए, अकेले एसपी सिर पर वार किए गए।इसके बाद वह एक गड्ढे में गिर गए।
भीड़ अन्य पुलिस वालों की तरफ लपकी तो वह भाग खड़े हुए। सभी बाग से बाहर आ गए और फोर्स आने का इंतजार करने लगे। जब फोर्स आई तक वह दोबारा से बाग में दाखिल हुए और एसपी सिटी को वहां से निकालकर अस्पताल के लिए भागे। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।