प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में केस लगा फंस गई सरकार

भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण मामले में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर अब सरकार खुद ही उलझ गई है। इस प्रक्रिया के बाद अब पूरे प्रदेश में प्रमोशन रोक दिए गए हैं। प्रमोशन के लिए फिलहाल मप्र में कोई नियम ही नहीं शेष रह गया है। मंत्रालय का कोई भी अफसर इस मामले में हाथ डालने से डर रहा है। सवाल यह है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक क्या करें। सरकार ने महाधिवक्ता से इस मामले में सलाह मांगी थी, परंतु उन्होंने भी कोई सलाह नहीं दी। अब सरकार अटार्नी जनरल से सलाह मांगेगी। पदोन्न्ति में आरक्षण मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 23 सितंबर को होनी है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक पदोन्न्ति में आरक्षण नियम रद्द होने के कारण मंत्रालय सहित सभी विभागों में पदोन्न्तियों पर ब्रेक लग गया है। ज्यादातर विभाग डीपीसी करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन मांग रहे हैं, पर वो कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए मुख्य सचिव अंटोनी डिसा के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता से सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए यथास्थिति के निर्देश पर कानूनी स्थिति साफ करने के साथ अनारक्षित पदों पर पदोन्न्ति करने को लेकर सलाह मांगी थी।

बताया जा रहा है कि महाधिवक्ता कार्यालय ने मंगलवार को शासन को अपना ओपिनियन भेज दिया। इसमें सिर्फ इतना कहा गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण इस पर अटार्नी जनरल से मार्गदर्शन ले लिया जाए।

सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले में मुख्य सचिव से बात करके सामान्य प्रशासन विभाग अटार्नी जनरल से सलाह मांगेगा। दरअसल, पदोन्न्ति में आरक्षण नियम को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद प्रदेश में पदोन्न्ति का कोई नियम ही नहीं रह गया है। ऐसे में अनारक्षित या एकल पदों की पदोन्न्तियां भी अटक गई हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने सरकार को सलाह दिए जाने की पुष्टि की है। 

मंत्रालय में खाली हुई कई पद
सूत्रों का कहना है कि अकेले मंत्रालय में ही सेवानिवृत्ति के कारण अपर सचिव से लेकर सहायक श्रेणी के कई पद खाली हो गए हैं। इन पदों को भरने के लिए विभागीय पदोन्न्ति समिति की बैठक काफी पहले हो चुकी है, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग पदोन्न्ति आदेश जारी करने से कतरा रहा है। इससे अधिकारी-कर्मचारियों में रोष भी है पर विभाग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
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