इन विवादों के चलते गौर की लालबत्ती छिनी

उपदेश अवस्थी/भोपाल। मप्र के सबसे सीनियर मंत्री बाबूलाल गौर को गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। हाईकमान ने सीधे उनसे इस्तीफा मांग लिया था। दिनभर चले हाईवोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामे के बाद अंतत: वो इसके लिए तैयार हुए। यूं तो उनके खाते में कई सफलताएं दर्ज हैं, इसमें कोई दोराय नहीं कि वो भोपाल के सबसे लोकप्रिय भाजपा नेता हैं। सबसे सहज और सबसे सरल परंतु कुछ मामलों ने उनके विरोधियों को ताकत दी और उन्हे कमजोर बनाया। 

महिला कार्यकर्ता से गंदी हरकत
राजधानी भोपाल के बरखेड़ा पठानी क्षेत्र में बाबूलाल गौर ने 21 अप्रैल 2016 को सात लो फ्लोर बसों को हरी झंडी दिखाई। इसी दौरान बस में सवार हो रही एक महिला यात्री को मंत्री बाबूलाल गौर ने गलत तरीके से टच किया, उनकी ये हरकत कैमरे में कैद हो गई, जिसके बाद ये वीडियो वायरल हो गया। यह मामला उनके विरोधियों के हाथ बटेर की तरह लगा। वीडियो में साफ नजर आ रहा था इसलिए मामले तेजी से हाईकमान तक पहुंचाया गया। दिल्ली में अब बाबूलाल गौर के जमाने वाले नेता भी नहीं बचे, अत: तय हो गया था कि बाबूलाल गौर साहब को सम्मान जनक विदाई दे दी जाएगी। भोपाल समाचार डॉट कॉम ने यह खबर सबसे पहले प्रसारित की थी। 

सारंग परिवार से विवाद 
अपने राजनैतिक जीवन के आखिरी पड़ाव में पहुंच चुके गौर पिछले चालीस सालों से ज्यादा समय से गोविंदपुरा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। बाबूलाल गौर चाहते हैं कि उनके बाद उनकी बहु और भोपाल की पूर्व महापौर कृष्णा गौर इस सीट का प्रतिनिधित्व करें जबकि नरेला विधानसभा में सारंग के बढ़ते विरोध की वजह से सारंग प्रदेश की सबसे सुरक्षित विधानसभा सीट गोविंदपुरा से अगला चुनाव लड़ना चाहते हैं। सारंग को यह भी मालूम था कि गौर के रहते वो मंत्री नहीं बन पाएंगे। इसलिए उन्होंने गौर को कमजोर करने के लिए तमाम ताकत लगा दी। यहां बताना मुनासिब होगा कि सारंग ने लगातार वो काम किए जो सीएम शिवराज को पसंद हैं, लेकिन गौर लगातार ऐसा कुछ करते रहे जो सीएम को पसंद नहीं थे। 

पुलिस भर्ती विवाद
सीएम शिवराज सिंह के मैनेजर्स हर हाल में यह चाहते हैं कि मप्र में होने वालीं तमाम सरकारी भर्तियों में देशभर के अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए। इसके पीछे उनके अपने हित हो सकते हैं, परंतु मप्र पुलिस की भर्ती मामले में बाबूलाल गौर इस लाइन को काटते नजर आए। तत्कालीन डीजीपी सुरेन्द्र सिंह ने उन्हें इस संबंध में इशारा भी किया परंतु गौर अपनी जिद पर अड़े रहे। इसके साथ ही सीएम की पर्सनल केबिनेट में तय हो गया था कि विस्तार के बाद नए मंत्रीमण्डल में बाबूलाल गौर नहीं होंगे। यह निर्णय इसलिए भी हुआ क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री को गृहमंत्री से हटाकर किसी दूसरे ठंडे पड़े विभाग में भी नहीं भेजा जा सकता था। कद घटाकर उन्हे अपमानित करने के बजाए इस्तीफा लेना ज्यादा उचित समझा गया। 

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