
जानें कब और कैसे हुई थी वारदात
एसएसपी अनंत देव ने बताया कि वारदात 29/30 जुलाई 2015 की है। शाहपुर इलाके के झरना टोला में छत्तीसगढ़ सीआरपीएफ के हवलदार जवाहर कनौजिया की पत्नी राजी (35), बड़ी बेटी पूनम (16), रूबी (12) और बेटे अनूप (10) के सिर पर प्रहार कर घर में ही हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से पुलिस कुशीनगर के रहने वाले ऑटो ड्राइवर अरुण कुमार दीक्षित की लगातार तलाश कर रही थी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने सोमवार को उसे रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया। इसके बाद उसने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए वारदात की पूरी कहानी बताई।
पड़ोसन राजी के साथ थे अवैध संबंध
अरुण ने बताया कि वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ शाहपुर इलाके में किराए पर कमरा लेकर रहता था। साल 2011 में इसी मकान में हवलदार जवाहर कनोजिया की पत्नी राजी भी अपने तीन बच्चों के साथ रहती थी। इसी दौरान राजी से उसकी करीबी बढ़ी। साल 2013 में एक यात्रा के दौरान सड़क के किनारे दोनों के बीच पहली बार अनैतिक संबंध बना था। इसके बाद से दोनों में रिश्ता और बढ़ गया।
घटना की रात पहुंचा था राजी के घर
दो साल पहले हवलदार ने खुद अपना घर बनवा लिया, जहां उसकी पत्नी और बच्चे रहने लगे। अरुण का इस मकान पर भी आना-जाना जारी रहा। घटना की रात 9.30 बजे वह राजी के घर पहुंचा। बच्चे सभी जग रहे थे। राजी ने बच्चों से कहा कि अंकल के घर की चाभी उनके गांव पर छूट गई है, वह यहीं सोएंगे।
राजी की धमकी पर अरुण ने की हत्या
रात में तीन बजे के आसपास राजी और अरुण में पैसे को लेकर कहासुनी और मारपीट हुई। इसके बाद राजी ने उसे रेप के केस में जेल भेजने की धमकी दी। इससे गुस्साए अरुण ने घर में रखी हथौड़ी से उसके सिर पर प्रहार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस बीच आवाज से बगल के कमरे में सो रहे अनूप और रूबी भी जग गए। उन्हें देखते ही अरुण ने हथौड़ी से मारकर उनकी भी हत्या कर दी।
राजी की बेटी से मरते दम तक किया था रेप
आवाज सुनकर छत पर सो रही पूनम भी नीचे आ गई। अरुण ने उसके सिर पर भी प्रहार कर दिया, जिससे वह गिरकर तड़पने लगी। उसने घायल पूनम के साथ रेप किया। इस बीच में ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद खुद को साफ करके और राजी के शरीर का गहना उतारकर वह फरार हो गया।
लौटने पर पुलिस ने पकड़ा
दो महीने की जांच के बाद पुलिस को अरुण पर शक हो गया था। जांच में पता चला कि उसने अपने दो साथियों की मदद से राजी के एटीएम कार्ड का तीन बार यूज करके 45 हजार रुपए निकाल चुका है। इसके बाद वह अयोध्या चला गया और जानकी दास मठ में रहने लगा। 10 महीने बाद वह सोमवार को गोरखपुर लौटा, लेकिन स्टेशन पर ही पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया।
टीम को मिला पुरस्कार
एसएसपी अनंत देव ने बताया कि गुडवर्क टीम में शामिल क्राइम ब्रांच की टीम को 50 हजार का पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार डीजीपी स्तर से घोषित था। आरोपी को धारा 302/201 के तहत कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है।