जौनसार बावर: मंदिरों में दलितों को प्रवेश की अनुमति, नेताओं पर प्रतिबंध

विशायल खत: पारंपरिक मेले का दृष्य
भीम सिह चौहान/देहरादून। जौनसार बावर देहरादून जिले का वही जनजातीय क्षेत्र है, जहां दलित एवं महिलाओं के मंदिरों में प्रवेश को लेकर न केवल सवाल उठते रहे हैं, बल्कि कई बार विवाद भी खड़े हो चुके हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यहां मंदिरों में दलित व महिलाएं बे रोकटोक पूजा कर सकेंगे परंतु धर्म की राजनीति करने वालों से कोई रिश्ता नहीं रखेगा। यह फैसला 18 गांवों की महापंचायत में लिया गया, जो पूरे इलाके में लागू हो गया। 

मात्र 1 रुपए में न्याय
जहां पूरे देश में विवादित मामलों का निपटारा कराने के लिए लोगों को पैसा खर्च करके लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। महापंचायत ने तय किया है कि गांव के लोगों को मात्र 1 रुपए में न्याय दिया जाएगा। सभी गांवों के स्याणाओं (वरिष्ठ लोग) ने न सिर्फ रूढ़िवादी प्रथाओं के खात्मे का एलान किया, बल्कि गांवों में खुमड़ी व्यवस्था लागू करते हुए यह भी तय किया कि यहां सभी को पहले ही तरह एक रुपये में न्याय मिलेगा। इसके लिए राजस्व, पुलिस व तहसील के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मतलब यह कि दीवानी और फौजदारी मामलों के फैसले इसी पंचायत में हो जाया करेंगे। लोगों को तत्काल न्याय मिल सकेगा। 

शादी में डीजे, मांस और दहेज बंद
स्याणा जगत सिह चौहान ने कहा कि खत के भीतर होने वाले सभी कार्यों में दलगत राजनीति नहीं होनी चाहिए। हर गांव के लोग एक-दूसरे के दुख-सुख में शामिल हों। महापंचायत में गांव में होने वाले विवादों को गांव स्तर पर निपटाने, दहेज प्रथा को समाप्त करने, हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने का संकल्प लिया गया। महापंचायत में यह भी निर्णय लिया गया कि खत में जौनसारी रिवाज से होने वाले विवाह में घी व डीजे बंद होगा और दहेज प्रथा भी खत्म होगी। खत के गांवों में बेटी की शादी में मीट बनाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं नियमों का उल्लंघन करने वाले गांव या व्यक्ति का खत से बहिष्कार होगा।

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