
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी चाहते हैं, 'आम जनता को बताया जाए कि उनकी रेल यात्रा का असल खर्च कितना आता है। इसमें में सरकार ने कितनी सब्सिडी देती है और कितना कम खर्च यात्री को उठाना पड़ा है।' इस तरह लोगों से रेल टिकट पर दी जाने वाली सब्सिडी छोड़ने की अपील की जाएगी।
पिछले महीने सड़क और रेल सेक्टरों पर हुई बैठक में प्रधानमंत्री के इस निर्देश पर कदम उठाने के लिए कहा गया कि यात्रियों को पूरे टिकट का खर्चा वहन करने के लिए कहा जाए और सस्ते किराए आर्थिक रूप कमजोर वर्गों के लिए ही रहने दिया जाए। अधिकारियों से इस पर तीन महीने के अंदर यानी अगस्त तक योजना तैयार करने के लिए कहा गया है। वर्तमान में, रेलवे को पैसेंजर सेगमेंट में लगभग 30 हजार करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होता है।
याद दिला दें कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में भी अधिकारियों ने कुछ ऐसा ही विषय उठाया था परंतु लालू यादव ने बजाए यात्रियों का किराया बढ़ाने के, अन्य साधनों से आय बढ़ाने की योजना पर काम किया और रेल विभाग को फायदे में ले आए। परंतु अब सरकार बदल गई है। लालू यादव रेल मंत्री नहीं रहे।