खाद्य प्रसंस्करण एवं पशुपालन क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश, किसानों के साथ वादाखिलाफी

शिवकांत दीक्षित। भारत सरकार द्वारा दिनांक 20 जून-2016 को की गई उक्त घोषणा के संबंध में भारतीय किसान संघ का यह स्पष्ट मत रहा है कि :-

1.  विदेशी निवेश के माध्यम से रोजगार बढ़ने की संभावनाएं कभी भी न तो भूतकाल में ही पूरी हुई और न अब होने वाली हैं बल्कि बेरोजगारी और बढ़ेगी।

2.  विदेशी निवेश जितनी मात्रा में आता है, उससे अधिक धन देश के बाहर जाता है। आवश्यक धन राशि का कुछ भाग ही विदेशी निवेश के रूप में आता है, शेष राशि तो स्थानीय बाजार से ही सृजित की जाती है।

3.  वर्तमान सरकार के द्वारा लिया गया यह निर्णय अचंभित करने वाला है, क्योंकि विपक्ष में रहते हुए भाजपा एवं सहयोगी दलों ने यूपीए सरकार की इस नीति का (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) जमकर विरोध किया था, फिर शासन में आते ही उसी यूपीए सरकार की नीतियों का क्यों अनुसरण किया जा रहा है।

4.  पशुपालन, मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यहां के किसान-मजदूर वर्गों का शोषण ही बढ़ाने वाला सिद्ध होगा। प्रतिस्पर्धा में टिकना असंभव होगा, फलस्वरूप विदेशियों की नौकरी करने को बाध्य होंगे।

5.  केंद्र द्वारा इस वर्ष के बजट में ग्रामीण क्षेत्र के लिए उल्लेखनीय प्रावधान तो किए, परन्तु राज्य सरकारों की दया पर छोड़ दिया, जो सहयोग करने को तैयार नहीं है और अब एफडीआई को अनुमति दे दी। ग्रामीण हित में जो अपेक्षाएं केंद्र सरकार से बनी थी, उनके संबंध में भ्रम ही निर्माण होने की संभावनाएं हैं। ग्रामीणों का उत्साह भंग करने का एक हथियार निन्दा करने वालों के हाथ में दे दिया गया है।

अत: भारतीय किसान संघ प्रधानमंत्री महोदय से यह आग्रह करता है कि खाद्य प्रसंस्करण एवं पशुपालन में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निर्णय को तत्काल वापस लिया जावे और किसानों के प्रति केंद्र सरकार की सकारात्मक बनी हुई छवि को धूमिल नहीं किया जावे। 

भवदीय
शिवकांत दीक्षित
क्षेत्रीय संगठन मंत्री, भारतीय किसान संघ, भोपाल - मध्यप्रदेश
मो.-09425394012

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !