भोपाल। अंतत: घुघरी गांव में स्वच्छ पेयजल पहुंच ही गया। उम्मीद की जा सकती है कि अब वहां कोई नई मौत नहीं होगी। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के भैंसदेही ब्लॉक के घुघरी गांव में दूषित पानी पीने से एक वृद्ध महिला और बच्चे की मौत हो गई थी, जबकि 163 लोग बीमार थे। स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर भेज दिए थे, पुलिस ने गांव के एकमात्र कुएं पर पहरा लगा दिया था, लेकिन स्वच्छ पेयजल किसी ने नहीं पहुंचाया। भोपाल समाचार ने जब ध्यान दिलाया तब प्रशासन जागा और गांव में स्वच्छ पेयजल के प्रबंध किए।
जिला प्रशासन ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि, पेयजल के कारण उल्टी-दस्त से प्रभावित हुए ग्राम घुघरी में एक बोर में सिंगल फेज मोटर डालकर उसे पानी की टंकी से जोड़ा गया है। पानी की टंकी में शुद्ध पेयजल स्टोर कर 24 घंटे पेयजल उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है ताकि बिजली नहीं रहने पर भी लोग इस टंकी से शुद्ध पेयजल ले सके। इसके अलावा एक और हैण्डपम्प लगाया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अमले द्वारा घर-घर में पहुंचकर ग्रामीणों को हैण्डपम्प का शुद्ध पेयजल उपयोग करने की ही सलाह दी जा रही है।
क्या है पूरा मामला
घुघरी गांव में एक साथ सभी के बीमार होने से पूरे गांव में हड़कंप की स्थिति मच गई। बीमारी के चलते 40 वर्षीय भागवंती पति मुन्ना और 10 वर्षीय अनिल पिता कमलेश की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई थी। जबकि 163 बीमार लोगों को अस्पताल दाखिल किया गया था।
इस गांव में पेयजल के लिए केवल एक कुआं शेष बचा था। उसका पानी भी जहरीला हो गया। जिसके चलते यह हादसा हुआ। जब मामला स्थानीय अखबारों में छपा तो तत्काल स्वास्थ्य विभाग का अमला गांव में पहुंच गया। इलाज शुरू कर दिया गया। पुलिस बल पहुंच गया। जहरीले कुएं पर पहरा बिठा दिया गया। प्रशासन के हिसाब से वो पूरी तरह सतर्क था।
भोपाल समाचार ने ध्यान दिलाया कि गांव में पेयजल के लिए अब कुछ भी शेष नहीं रह गया है। एकमात्र कुआं जहरीला हो चुका है। तब प्रशासन के कान खड़े हुए। आनन फानन में पेयजल के प्रबंध किए गए। करीब 48 घंटे गांव में कोई पेयजल प्रबंध नहीं था।