सरकार, महंगाई बढी है ! कर्मचारी नाखुश है

Bhopal Samachar
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राकेश दुबे@प्रतिदिन। केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को हरी झंडी दे दी। इससे कर्मचारी खुश नहीं हैं , वे हडताल पर जाने की बात कर रहे हैं | यदि 11 जुलाई के पहले कोई हल नही निकला तो देश को एक बड़े कर्मचारी आन्दोलन का सामना करना होगा | इस निर्णय से पेंशनयाफ्ता लोगों को खुशी हुई ।  देश में एक नियत अंतराल पर वेतन आयोग का गठन होता रहा है, ताकि कर्मचारियों के वेतन-भत्तों को बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके। इसलिए सिफारिशों पर सरकार की मुहर लगना एक तार्किक परिणति ही होती है। न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में गठित सातवें वेतन आयोग ने पिछले साल नवंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी।

यह पहला आयोग था जिसने कार्य-प्रदर्शन के आधार पर केंद्रीय कर्मियों को पुरस्कृत करने या वेतन-वृद्धि के लाभ से वंचित करने का सुझाव दिया। फिलहाल यह साफ नहीं है कि आयोग के ऐसे सुझावों पर सरकार ने क्या तय किया है? बहरहाल, रिपोर्ट सौंपे जाने के समय से ही उस पर सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय कर्मियों के वेतन में करीब पंद्रह प्रतिशत और भत्तों में तिरसठ प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की थी; पेंशन में करीब चौबीस प्रतिशत की। सिफारिशों पर अमल के बाद केंद्रीय कर्मियों को होने वाली प्राप्तियों में कुल बढ़ोतरी करीब चौबीस प्रतिशत होगी।जिसे कर्मचारी सन्गठन नकाफी मान रहे हैं |

सिफारिशें इस साल एक जनवरी से लागू होनी हैं, यानी सरकार को बढ़ोतरी की राशि का छह महीने का बकाया भी, चाहे एकमुश्त चाहे किस्तों में, देना होगा। जब भी वेतन आयोग की रिपोर्ट आती है, उसे इस नजरिए से भी देखा जाता है कि इसका सरकारी खजाने तथा देश की अर्थव्यवस्था पर कैसा असर पड़ेगा। खासकर इसलिए कि सरकारी खजाने के लिहाज से छठे वेतन आयोग का अनुभव अच्छा नहीं रहा था। वेतन-भत्तों तथा पेंशन में ताजा बढ़ोतरी के फलस्वरूप केंद्र सरकार को सालाना करीब एक लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार उठाना होगा। पूर्व सैनिकों को समान रैंक समान पेंशन देने के लिए भी उसे साल में सत्तर हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने हैं। सरकार को कम से कम दो साल इसके असर से जूझने में लगेंगे। छठे आयोग ने मूल वेतन में बीस फीसद बढ़ोतरी की सिफारिश की थी, जिसे लागू करते समय तत्कालीन सरकार ने दुगुना कर दिया था।

अब केंद्र के कई अफसरों को सांसदों से ज्यादा पैसा मिलेगा। यह सांसदों को शायद ही रास आए। अब उनकी तरफ से अपने वेतन-भत्तों में एक बार फिर बढ़ोतरी की मांग उठे और उस पर विचार करने को सरकार राजी भी हो जाए। पर क्या अन्य तबकों को अपनी सेवाओं का ऐसा ही लाभ मिल पाता है? सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से यह उम्मीद की जा रही है कि घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी। पर महंगाई बढ़ने का भी अंदेशा जताया जा रहा है, जिसमें बढ़ोतरी का रुझान पहले से है 
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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