
रिनी कहती हैं कि उनके खिलाफ झूठी शिकायत करने वाले जबलपुर के वकील को भी जेल भिजवाकर रहेंगी। उन्होंने आरोप लगाए कि मप्र पुलिस ने उनकी बुर्जुग मां को डराकर ना सिर्फ पैसा लिया, बल्कि हक की बात रखने पर उनसे 50-50 बार रसीद की कॉपी लिखवाई गई।
मानवाधिकार आयोग के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष भी घेरे में
रिनी ने आरोप लगाया कि पूरे मामले में मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष रहे एके सक्सेना के खिलाफ भी कोर्ट और महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराएंगी। उन्होंने आरोप लगाए कि सक्सेना जबलपुर के वकील विक्रम राजपूत और उनके पिता को पहले से जानते थे और उन्हीं के कहने पर विक्रम के एक आवेदन पर आईजी अनिल गुप्ता और एएसपी दीपक ठाकुर पर दबाव बनाकर कार्रवाई के लिए कई बार पत्र लिखे, लेकिन मामले में हमसे कभी सच जानने की कोशिश नहीं की।
जमानत के बाद जब हम उनसे मिलने गए तो उन्होंने मिलने से भी इंकार किया, वहीं जब हमने विक्रम का शिकायती पत्र मांगा तो वे हमें नहीं दिया गया। उन्होंने मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ मप्र के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और गृहमंत्री शिकायत की थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पूरे घटनाक्रम पर लिखेंगी किताब
रिनी कहती हैं कि इस पूरे प्रकरण को लेकर वो किताब भी लिखने वाली हैं। उनके अनुसार जब उन्हें व उनकी मां को जेल भेजा गया तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी सौरभ भट्ट ने धमकाया कि अब दोनों की पिटाई होने वाली है और यदि उन्हें इससे बचना है तो उसे दस हजार रुपए देने होंगे। रिनी के अनुसार उन्होंने यह पैसे सौरभ को दिए भी। वे कहती हैं कि जेल में महिला वॉर्डन महिला कैदियों से मालिश कराती थी। जेल में हमारे साथ संगीन अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया।