मेक इन इण्डिया नहीं, “पानी इन इण्डिया” सोचो

राकेश दुबे@प्रतिदिन। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत किसी भी दूसरे देश की तुलना में 761 बिलियन क्यूबिक पानी का इस्तेमाल हर साल घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए करता है.,लेकिन खतरे की बात ये है कि इसमें अब आधा पानी दूषित हो गया है। 2016 में संसदीय कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण, पश्चिम और केंद्रीय भारत के नौ राज्यों में ग्रांउड वॉटर लेवल खतरे के निशान को पार कर गायब होने की कगार पर है। मतलब इन राज्यों में 90 फीसदी ग्रांउड वॉटर का इस्तेमाल किया जा चुका है। एक और रिपोर्ट के मुताबिक 6 राज्यों के 1,071 ब्लॉक, मंडल और तालुका में 100 फीसदी ग्रांउड वॉटर का इस्तेमाल किया जा चुका है। पूरी धरती में ग्रांउड वॉटर को लेकर सबसे ज्यादा खराब स्थिति भारत की है |पानी नही बचा तो क्या होगा इसका लातूर एक जीता जागता उदाहरण है |

तेल और दाल के मामले में लातूर का पूरे देश में नाम है लेकिन पानी की लगातार होती कमी नें तेल फैक्ट्रियों पर ताले लगा दिए। लातूर की तुअर यानि अरहर की दाल पूरे देश में मशहूर है, लेकिन पानी ने इस दाल का स्वाद भी खराब कर दिया है। साल 2000 से 2010 तक लातूर शहर ने बहुत तेजी से तरक्की की। दस साल में शहर में उघोग घंघे औऱ खासकर रियल स्टेट मार्केट ने खूब तरक्की की लेकिन पिछले डेढ़ साल से आलम ये है कि लातूर में कंस्ट्रक्शन का काम पूरी तरह से बंद है। पांच साल पहले लातूर में मकान की कीमत दिल्ली एनसीआर में मकान खरीदने जितनी पहुंच गई थी, लेकिन अब अधूरे और खाली पड़े मकानों के खरीददार नहीं हैं। लातूर में क़रीब 150 छोटे और बड़े अस्पताल हैं जहां पानी की भारी किल्लत है। पानी की कमी होने की वजह से लातूर के अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले मरीज़ों की संख्या में 50 फीसदी की कमी आई है।

पिछले महीने लातूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में पानी की कमी की वजह से डॉक्टर्स को 12 सर्जरी टालनी पड़ीं। लातूर में बोरवेल और टैंकर से जो पानी मिल भी रहा है वो पीने लायक नही है लेकिन लोग मजबूरी में पी रहे है और डायरिया और पथरी जैसी बिमारियों के शिकार बन रहे हैं।

 देश में कहीं भी लातूर जैसे हालात हो सकते हैं,किसी भी शहर में विकास का पहिया थम सकता है | बारिश का पानी कैसे बचे? बारिश के अलावा पानी कैसे मिले इस पर गहन सोच की  जरूरत है वरना मेक इन इण्डिया का कोई मायना नहीं होगा |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!