
इस परीक्षा के सन्दर्भ में अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि न्यायलय द्वारा जारी परीक्षा सम्बन्धी आदेश में एमबीबीएस, बीडीएस और परास्नातक पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के जरिए द्विचरणीय एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन एक मई और 24 जुलाई को करने की अनुमति दी गई है लेकिन इसमें कुछ स्वाभाविक मुश्किलें पेश आ रही हैं और आदेश में कुछ बदलाव किए जाने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि एनईईटी के पहले चरण की एक मई को होने वाली परीक्षा को रद्द किया जाए और सभी छात्रों को 24 जुलाई को परीक्षाएं देने दी जाएं। शीर्ष अदालत ने एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए दो चरणों वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा एनईईटी के आयोजन से जुड़ी सारी बाधाएं हटा दी थीं। अकादमिक वर्ष 2016-17 के लिए लगभग 6.5 लाख उम्मीदवारों को इस परीक्षा में बैठना है।इस आदेश से सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज एनईईटी के दायरे में आ गये और जिन परीक्षाओं का अलग से आयोजन हो चुका है या होना है, उन्हें रद्द माना जाएगा।
सच यह है कि देर से सही सुप्रीम कोर्ट ने उस जलेबी को सीधी करने की कोशिश शुरू कर दी है, जिसकी चाशनी बहुत मीठी है | कई लोगों की लार टपकती है | सुप्रीम कोर्ट यदि मेडिकल / डेंटल कालेज खुलने से प्रवेश और वहां से निकलने डाक्टरों पर एक नजर दौडाए तो साफ समझ आएगा की जलेबी कौन और क्यों बना रहा है | मेडिकल कालेज खोलने में सरकार की भी रूचि है पर डेंटल कालेज से परहेज है | बानगी मध्यप्रदेश है, पूरे प्रदेश में एक सरकारी डेंटल कालेज |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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