शिक्षामंत्री के प्रिय dpc के खिलाफ संयुक्त कर्मचारी संघ का उग्र प्रदर्शन

भोपाल। शिक्षामंत्री पारस जैन के प्रिय डीपीसी शिरोमणि दुबे के खिलाफ शिवपुरी जिले के तमाम कर्मचारी संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। लगभग 5 साल से नियम विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पर चिपके डीपीसी शिरोमणि दुबे को आंदोलित कर्मचारियों ने डीपीसी को तानाशाह करार देते हुए उन्हें तत्काल हटाने एवं उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने की मांग की है। अन्यथा की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी गई है। 

शिवपुरी में आज सभी कर्मचारी संगठनो द्वारा संयुक्त मोर्चा के बैनर तले भारी संख्या में एकत्रित होकर जिलाधीश शिवपुरी को विन्दुवार ज्ञापन सौंपा। कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने ज्ञापन के माध्यम से डीपीसी की कार्यप्रणाली की घोर निंदा की है तथा कड़े लहजे मे संयुक्त मोर्चा ने चेतावनी देते हुये कहा कि अगर तीन दिवस में इन पर कार्यवाही नही हुई तो संयुक्त मोर्चा कर्मचारी संघ 01 जून से धरने पर बैठेगा तथा क्रमिक भूख हड़ताल की जायेगी। 

  • ज्ञापन में ये रहीं प्रमुख मांगे -

  1. स्कूल शिक्षा विभाग में नियम है कि कोई भी कर्मचारी 3 वर्ष से अधिक प्रतिनियुक्ति पर नहीं रह सकता। इसी नियम के अनुसार डीपीसी ने शिवपुरी जिले के तमाम बीआरसीसी, बीएसी, व सीएसी की प्रतिनियुक्तियां समाप्त कीं, लेकिन खुद लगभग 5 साल से प्रतिनियुक्ति पर डटे हुए हैं। इन्हे तत्काल हटाया जाए। ये शिवपुरी से पहले अशोकनगर में प्रतिनियुक्ति पर थे। 
  2. शिक्षक आफाक अहमद के घर जाकर डीपीसी ने अभद्रता की, जातिसूचक गालियां दीं। परिवार एवं पडौसियों के सामने अपमानित किया। शिक्षक ने पुलिस को शिकायत दी है। इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई जाए। 
  3. शिक्षाविभाग में कार्यरत शासकीय सेवकों को डीपीसी निलंबन का डर दिखाते हैं। नोटिस भी देते हैं, जबकि इन्हे किसी भी कर्मचारी को निलंबित करने या निलंबन का नोटिस देने का अधिकार ही नहीं है। पद के दुरुपयोग के मामले में कार्रवाई की जाए। 
  4. अपने ही आॅफिस में अपनी जायलो कार भाड़े पर लगा रखी है।​ जिसमें वो स्वयं सवारी करते हैं। यह नियम विरुद्ध है। आर्थिक अपराध है। कार्रवाई की जाए। 
  5. श्रीमती नयनतारा शर्मा प्रावि छावनी को नियमानुसार अवकाश पर होने के बावजूद भी बिना नोटिस दिये निलंबन कर दिया। इसी प्रकार महेन्द्र शर्मा जो कि ठर्रा संकुल में पदस्थ हैं। जो बीएलओ का कार्य कर रहे थे, बिना नोटिस दिये निलंबन किया गया। जो कि नियम विरूद्व है। 
  6. आवासीय छात्रावासों मे नियम विरूद्व बीआरसीसी पर दबाव बनाकर शाला में अध्ययनरत् बच्चों को छात्रावासों में भर्ती कर दिया गया। जबकि नियमानुसार घुम्मककड़ एवं कचरा बीनने बाले शाला त्यागी बच्चों को छात्रावास में भर्ती किये जाना चाहिये था। जो नियमविरूद्व कार्य कर शासकीय राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है। 
  7. जिले भर के कस्तूरबा गांधी छात्रावासों में एवं आवासीय बालक/ बालिका छात्रावासों में कार्यरत अधीक्षक/अधीक्षिकाओं को नियमविरूद्ध बनाया गया है तथा मिलकर शासकीय राशि का गोलमाल किया जा रहा है जिले के समस्त छात्रावासों के अधीक्षकों पदस्थी की जांच कराई जाये तथा कार्यवाही की जाये। 
  8. कार्यालय में वाहनों को मनमाने ढंग से लगाने एवं शासकीय सेवकों के नाम से रजिस्टर वाहनों तथा स्वंय के नाम से जायलों एमपी33 सी 3135 वाहन का शासकीय कार्य में उपयोग कर शासन को चूना लगाया जा रहा है। स्वंय के वाहन को शासकीय कार्यालयों मे लगाना व्यवसाय की श्रेणी मे आता है जो कि नियमविरूद्व है। कार्यवाही की जाये। 
  9. डीपीसी अपने चहेते पूर्व में निलंबित शिक्षकों को लेकर निरीक्षण पर जाते हैं। जैसे वत्सराज सिंह राठौर शाप्रावि कोर्ट रोड़। वत्सराज राठौर सहायक शिक्षक की अफसरशाही व दखलंदाजी बंद हो। यह शिक्षक अफाक अहमद के घर गये डीपीसी से साथ थे। 
  10. बीआरसीसी के पदों पर अपने चहेते शिक्षकों व अध्यापकों को मनमाने ढंग से बिठाया गया नियमानुसार कोई प्रक्रिया नही अपनाई गई है। जैसे शिवपुरी बीआरसीसी आदि। 
  11. आये दिन जिन शिक्षकों से नाराज हो जाते है उन्हे अपना रूतवा दिखाने के लिये द्वेषपूर्ण भावना से कारण बताओ नोटिस दिये बिना निलंबित करा दिया जाता है। 
  12. श्रीमती रूकमणी शर्मा सहायक शिक्षक प्रावि मोहिनी सागर जो कि नियमानुसार सर्वे कार्य कर रही थी फिर भी इनको कार्य नही करने का हवाला देकर बीआरसीसी शिवपुरी पर दबाव बनाकर नोट शीट बनवाई गई तथा डीपीसी द्वारा जिला शिक्षाधिकारी को इनके निलंबन का प्रस्ताव भेजा गया। 
  13. अभी कुछ समय पूर्व म.प्र.शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षा मंत्री माननीय पारस जैन द्वारा निलंबन किये जाने के उपरान्त भी ये नियमित कार्यालय जाते रहे तथा शासकीय कार्यों को संपादित करते रहे। जो जांच की विषय है।
  14. सर्व शिक्षा अभियान के अनुसार डीपीसी पद हेतु 52 वर्ष की उम्र वांछनीय है, जबकि शिवपुरी डीपीसी इस उम्र से बाहर है, बूढ़े हो गए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को गलत जानकारी देकर नियम विरूद्व अपने पद डटे हुये हैं। 


शिक्षा मंत्री मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाया
डीपीसी की कार्यप्रणाली के कारण शिक्षा विभाग के कर्मचारियों में भय एवं दहशत का माहौल है  इनके द्वारा विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाकर नियमों के विरूद्व दंडात्मक कार्यवाही की जा रही है। कर्मचारियों की अनेक बैठकों में कहते है कि जब शिक्षा मंत्री मेरा कुछ नही बिगाड़ पाया में चाहूंगा तब तक रहूंगा। 

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