रेत माफिया की जांच के लिए एसआईटी गठित

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भोपाल। नर्मदा नदी से रेत माफिया द्वारा की जाने वाली अवैध खनन की जांच का जिम्मा अब एसआईटी को सौंपा गया है। इस एसआईटी का गठन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल द्वारा किया गया है। मामलों की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश दिलीप सिंह एवं एसएस गरब्याल की बेंच ने इसके साथ ही प्रदेश सरकार एवं खनिज निगम को बरसात में रेत खनन पर नई नीति बनाने तथा प्रतिबंध अवधि में रेत की आपूर्ति सुनिश्चित करने निर्देश दिए हैं।

बेंच द्वारा नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। जानकारी के अनुसार न्यायाधिकरण ने मध्य प्रदेश में वर्ष 2015 में रेत खनन पर प्रतिबंध लगाया था। यही नहीं पिछले आदेश का हवाला देते हुए सरकार को अमरकांत मिश्रा तथा अन्य मामलों में हुए आदेशों के अनुरूप नई रेत खनन नीति बनाकर आगामी सुनवाई 23 मई के पूर्व न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। न्यायाधिकरण ने प्रदेश के 18 जिले, जिनमें माइनिंग कॉरपोरेशन को रेत खनन के अधिकार प्राप्त हैं उनमें हो रहे अवैध खनन एवं प्रदेश व प्रदेश से बाहर रेत के बड़े बाजार को देखते हुए पर्यावरणीय अनुमति का उल्लंघन कर होने वाले खनन पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार से पूछा कि क्या यह संभव है कि संपूर्ण रेत खनन एवं बिक्री माइनिंग कॉरपोरेशन के माध्यम से प्रदेश में अनुमति प्राप्त कार्यों के लिए किया जाए। 

याचिकाकर्ता की नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी में हो रहे अवैध खनन की जांच करने के लिए एसआईटी गठन की मांग को स्वीकार करते हुए न्यायाधिकरण ने कलेक्टर नरसिंहपुर पुलिस अधीक्षक, पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकार व खनिज अधिकारी का दल गठित कर आगामी 20 मई के पूर्व जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने आदेश दिये है। 

सुनवाई में याचिकाकर्ता विनयक परिहार व उनके अधिवक्ता विजय शाहनी, सरकार की ओर से सचिन वर्मा, पीसीबी की पारुल भदौरिया, आरोपी खनन कंपनियों शिव व वंशिका की ओर से दीपेश जोशी व श्रेयश धर्माधिकारी उपस्थित थे। मामले की अगली सुनवाई २३ मई को रखी गई है।

  • ये हैं जांच के आठ बिन्दु
  • विशेष जांच दल को निम्न 8 बिन्दुओं पर जांच करने दिये गए हैं। 
  • क्या खदानों के क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, 
  • क्या अधिकृत खदान ठेकेदार द्वारा चिन्हित क्षेत्र में ही खनन किया गया है, 
  • क्या अवैध खनन करने वालों के नाम पता मिलना संभव है, 
  • क्या भरी जेसीवी एवं पोर्कलन मशीनों से हुये खनन को प्रमाणित किया जा सकता है, 
  • विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों एवं आम लोगों द्वारा की गई शिकायतों पर जिला प्रशासन एवं खनिज विभाग ने कोई कार्रवाही की, 
  • माइनिंग कॉरपोरेशन जो कि जिले के खनन के लिए अधिकृत है ने उपरोक्त अवैध खनन पर कोर्ट कार्रवाही की है 
  • क्या उपरोक्त सभी बिन्दुओं के अलावा एसआईटी पर्यावरण को हुये नुकसान का आकलन भी करेगी।
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