जबलपुर। कुण्डम में गुरुवार रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह उस वक्त बाल-बाल बच गए, जब कार्केड में शामिल पायलट जिप्सी ने पीछे से मुख्यमंत्री की कार को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि सीएम की कार बहक कर सड़क से नीचे उतर गई, लेकिन ड्राइवर ने कार से नियंत्रण नहीं खोया।
घबराईं साधना सिंह, तबीयत बिगड़ी
इस घटना से सीएम की पत्नी साधना सिंह बुरी तरह घबरा गईं और जोर-जोर से कहने लगीं कि महाकाल ने बचा लिया। उनकी तबियत खराब हो गई। इसके बाद उन्हें कुण्डम रेस्ट हाउस ले जाकर डॉक्टर को दिखाया गया। सीधी से डुमना एयरपोर्ट आ रहे मुख्यमंत्री चौहान को जबलपुर की सीमा पर स्थित कुण्डम के पास चौरई गांव में फॉरच्यूनर और कार्केड बदलना था। चौरई गांव में जिला प्रशासन ने सफारी कार, पायलट जिप्सी और फॉलो गार्ड तैयार रखी थी। जिले की सीमा समाप्त होते ही दूसरे जिले की पायलट अलग हो गई। इसी बीच मुख्यमंत्री ने काफिले को आगे बढ़ने का इशारा कर दिया।
मुख्यमंत्री की कार बहक कर सड़क से नीचे उतर गई
काफिला आगे बढ़ते देख जबलपुर जिले की पायलट जिप्सी ने मुख्यमंत्री की फॉरच्यूनर से आगे निकलने का प्रयास किया। इसी बीच मुख्यमंत्री ने कार रोकने का इशारा किया। कार धीमी होते ही पीछे से आ रही पायलट जिप्सी ने मुख्यमंत्री की कार को टक्कर मार दी। टक्कर लगने से मुख्यमंत्री की कार बहक कर सड़क से नीचे उतर गई, लेकिन मुख्यमंत्री के कार के ड्राइवर ने नियंत्रण नहीं खोया। कार रुकते ही मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह घबरा गईं। कार से उतरते ही वे जोर-जोर से कहने लगीं कि महाकाल ने बचा लिया। मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी को शांत कराया, इसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें कुण्डम रेस्ट हाउस ले जाकर डॉक्टर को दिखाया गया, इसके बाद मुख्यमंत्री कार बदलकर जबलपुर के लिए रवाना हुए।
एम्बुलेंस में डॉक्टर नहीं
गुरुवार रात प्रशासन ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भारी लापरवाही बरती। मुख्यमंत्री कार्केड में शामिल एम्बुलेंस में डॉक्टर ही नहीं था। एम्बुलेंस में मुख्यमंत्री के ब्लड ग्रुप वाले चार जवान शामिल थे। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब मुख्यमंत्री की पत्नी को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ी। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अनिल सिन्हा का कहना है कि एम्बुलेंस में डॉ. निखिल दुबे की ड्यूटी लगाई थी।