
दरअसल, ये गुहार जिले घोड़ाडोंगरी विधानसभा के बिघवा और वीरपुर गांव के ग्रामीणों ने सभी राजनैतिक दलों से लगाई है। इन गांवों में जगह-जगह इस निवेदन के साथ बाकायदा बैनर पोस्टर लगाकर ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया है।
स्थानीय नागरिक श्यामराव पाटिल के मुताबिक, पिछले तीन दशकों से गांव विकास के लिए तरस रहा है। इन ग्रामीणों को हर राजनैतिक दल विकास के नाम पर ठग रहे हैं, लेकिन आज भी यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है और हर बार गांव में विकास के नाम पर केवल भ्रष्टाचार ही हुआ है। वहीं, बिघवा गांव के मूरत यादव के मुताबिक जब विकास हुआ ही नहीं है, तो वोट क्यों दें।
हालांकि, इस बार ग्रामीणों ने कमर कस ली है, आगामी 30 मई को घोड़ाडोंगरी विधानसभा में उपचुनाव होना है। ऐसे में वे तभी मतदान करेंगे जब गांव में विकास कार्य का ठोस आश्वासन दिया जाएगा।
गांव के आम लोगों समेत कुछ जनप्रतिनिधियों ने भी चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। वीरपुर गांव से चिचोली की जनपद पंचायत सदस्य गीता उइके का कहना है कि विकास को लेकर कई बार विधायक और अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन केवल हर बार उन्हें गुमराह किया गया।
उधर, ग्रामीणों के इस आक्रोष के बावजूद अधिकारी बेतुकी दलीलें दे रहे हैं। चिचोली जनपद पंचायत के सीईओ केपी राजौरिया का कहना है कि, गांवों में विकास हुआ है, लेकिन ग्रामीणों को दिखाई नहीं दे रहा।
उल्लेखनीय है कि 30 मई को घोड़ाडोंगरी विधानसभा में उपचुनाव होना है। ऐसे में दो गांवों का चुनाव बहिष्कार करने से अधिकारियों में हड़कंप का माहौल है।