
श्री घोष ने कहा कि जादवपुर विश्वविद्यालय की घटना में कुछ वामपंथी विचारधारा की महिलाएं खुद आकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं से भिड़ जाती हैं। उन पर गिर जाती हैं। जब एबीवीपी की महिला सदस्य उन्हें बचाने आती हैं, तो उन्हें भी मारा जाता है। श्री घोष ने कहा कि वामपंथी छात्र संगठन की लड़किया खुद ही लड़कों पर गिरती हैं और जब वहां मौजूद एबीवीपी की महिला सदस्य उन्हें वहां से हटाती हैं, तो उन्हें भी मारा जाता है। उलटे एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया जाता है। यह घटिया हरकत है। श्री घोष ने कहा की जिन को मान-सम्मान की जरूरत है, उन्हें ऐसे स्थानों पर नहीं जाना चाहिए।
गौरतलब है कि बीते दिनों जेयू में एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर वहां की छात्राओं ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके बाद इन एबीवीपी कार्यकर्ताओं को बंधक बना लिया गया था। उनके साथ मारपीट भी की गयी थी।
दिलीप घोष के बयान की निंदा
उधर, माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने ट्वीटर पर इस टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि इसमें कुछ नया नहीं है। आपत्तिजनक टिप्पणी करने व बयान देने को लेकर भाजपा नेता अभ्यस्त हैं।
ऐसा भाजपा और आरएसएस की नीतियों को दर्शाता है. इधर भाकपा (माले) के प्रदेश सचिव पार्थ घोष ने ऐसी टिप्पणी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के माफी मांगने की मांग की है. पार्टी के प्रदेश सचिव पार्थ घोष ने कहा है कि जादवपुर विश्वविद्यालय की छात्राओं के प्रति आपत्तिजनक बातें कहना केवल छात्राओं का ही नहीं बल्कि बंगाल की तमाम नारी का अपमान है. उन्हें इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए।