सभी अध्यापक संघ पहले वेतन निर्धारण के तरीके को लेकर एकमत हो

डीके सिंगौर। अध्यापकों को प्रतीक्षा है एक विसंगति रहित फिक्सेशन चार्ट की लेकिन अध्यापकों के वेतन सम्बन्धी नियमों में इतना ज्यादा विरोधाभास है कि न केवल स्कूल शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के अधिकारी विसंगति रहित टेबल जारी कर सक रहे हैं और न ही अध्यापक संगठनों में इस बात को लेकर एका है कि टेबल कैसा होना चाहिए। 2013 के आर्डर के अनुसार अंतरिम राहत का समायोजन कर वेतन निर्धारण का नियम है इस विधि से अध्यापकों को फायदा है सरकार ने  अध्यापकों का  फायदा  रोकने  के लिए अंतरिम राहत  के समायोजन  का  नियम  ही  खत्म  कर  दिया। 

केबिनेट की संक्षेपिका से जो टेबल सामने आई है उसमें अध्यापकों को फायदा नाम मात्र का है इससे शिक्षक और अध्यापकों के वेतन में अंतर दूर नही हो रहा है और न ही क्रमोन्नति के मामलों में न्याय हो रहा है और न ही वरिष्टता के अनुरूप लाभ निर्धारित हो रहा है| 7440 और 10230 वाला फार्मूला जिसे सरकार नकार चुकी है वह दे भी दिया जाये तो विसंगतियों को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। 9 साल से अधिक की सेवा पूर्ण कर चुके अध्यापकों के वेतन की गणना ऐसे विद्दमान बेसिक से की जा रही है जो बेसिक उसका है ही नहीं और यदि इसे लागु कर लाभ देने की कोशिश की भी गई तो यह बेहद क्लिष्ट टेबल होगी और भारी विसंगतियों से परिपूर्ण  होगी।  

इतना बड़ा आन्दोलन ७वे वेतनमान और शिक्षा विभाग में संविलयन को लेकर किया गया था और  हम छठवां वेतनमान भी ठीक से नहीं ले पा रहे है। चूँकि अब हमारे पास छठवें वेतनमान का आर्डर है तो फिर हम क्यों नही इस आर्डर को भुना पा रहे है। छठवें वेतनमान के आदेश का हम अध्ययन क्यों नही कर रहे है। यदि छठवें वेतनमान की शर्तो और नियमों के अनुसार वेतनमान का निर्धारण होता है तभी अध्यापकों को शिक्षकों के समान वेतन मिल सकेगा, पदोन्नति और क्रमोन्नति प्राप्त अध्यापकों के साथ न्याय हो सकेगा, 7440 & 10230 फार्मूला का भी लाभ  मिल  सकेगा सीनियर अध्यापकों के साथ भी न्याय  हो सकेगा। सरकार जो टेबल जारी कर रही है वो 6th पे के नियम के अनुसार नही है। इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है संघ की राजनीति से ऊपर उठकर एक साथ बैठकर किसी टेबल पर सहमती बनाने की फिर चाहे उस टेबल को लेकर एक साथ लड़े या अलग अलग। यदि टेबल पर सहमति नहीं है तो अच्छे की उम्मीद एकदम बेमानी है। 

अब चर्चा टेबल पर
पूर्व से वेतनमान ले रहे कर्मचारियों का 6th पे में वेतन निर्धारण उसके विद्दमान बेसिक से ही  होता है मतलब 6th पे निर्धारण की तारीख को जो बेसिक उसे मिल रहा है उससे होता है स्पस्ट नियम है कि 6th पे मिलने की तारीख पर मिल रहे बेसिक में 1.86 का गुणा होता है और उस पर पे बेंड के अनुसार ग्रेड पे जोड़ा जाता है क्रमोन्नति प्रकरण में क्रमोन्नत वेतनमान पर वेतन निर्धारण होता है और उसी आधार पर ग्रेड पे का लाभ मिलता है चूकी वेतन का निर्धारण 1 जनवरी 2016 को मिल रहे बेसिक पर होगा तो वरिष्ठता के अनुसार ही निर्धारण होगा इस नियम से अध्यापकों के वेतन में 11000 से लेकर 21000 तक की वृद्धि होगी। 

सरकार यह भी कह सकती है कि 2013 में ही 3000, 4000, 5000 वाले वेतनमान पर 1.62 का गुणा किया है हालाकि एसा कहना एकदम बेमानी है क्योकि 3000, 4000, 5000 ये शिक्षक संवर्ग का बेसिक नही है न ये चौथा वेतनमान है और न ही ये पांचवा है छठवे का तो सवाल ही नही है जो पूर्व से मिल रहा है उसी पर 1.86 का गुणा करना पड़ेगा। जब इतना मिलेगा तभी तो शिक्षक से अंतर खत्म होगा। इस नियम से वेतन निर्धारण बिना टेबल के हो जायेगा। दो लाइन का  आदेश ही पर्याप्त है। सरकार पर बजट का भार कम करने के लिए 1.86 की जगह 1.62 का गुणा भी विचारणीय हो सकता है। बिना टेबल के वेतन निर्धारण हो जाये इससे सरल फार्मूला और  क्या  हो सकता है। एक और विशेष बात यदि वर्ष 2000 (अध्यापक नियमितीकरण) में नियुक्त शिक्षक संवर्ग के वेतन की गणना जनवरी 2016 में की जाये तो उतना ही वेतन बनता है जितना  अध्यापकों का इस फार्मूले से बनता है। यह टेबल एक कोशिश भी है सभी संघो को एक मंच पर साथ बैठाने की। टेबल 2015 और 1998 में नियुक्त सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक के लिए  बनाई गयी है। एक बार अवलोकन करे और फिर विचार करें।
डीके सिंगौर 
राज्य अध्यापक संघ मंडला
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