
वित्त विभाग ने 24 सितम्बर 2014 को एक आदेश जारी करते हुए सभी विभाग प्रमुखों से कहा था कि पांच करोड़ से अधिक राशि के आहरण नहीं किए जाएंगे। अगर कोई विभाग राशि की आवश्यकता पर जोर डालेगा तो उसे वित्त विभाग से मंजूरी लेना होगा। विभाग ने इस तरह का आदेश इसलिए जारी किया कि राज्य में बजट अनुशासन गड़बड़ा रहा था। बहुत से विभाग निर्माण कार्य कराने के नाम पर अनाप-शनाप राशि खर्च कर रहे थे।
खाली हो रहा था खजाना
सरकारी विभागों द्वारा अपनी सुविधा के अनुसार करोड़ों रुपये की राशि निकालने से राज्य का खजाना तेजी से खाली होने लगा था। लिहाजा राज्य को नाबार्ड और विश्व बैंक से कर्ज लेना कठिन होने लगा। राज्य सरकार ने तब निर्णय लिया था कि कुछ महत्वपूर्ण मामलों को छोड़कर वित्तीय अनुशासन बनाया जाएगा।
50 करोड़ आहरण करने इन्हें राहत
निर्माण कार्य से जुड़े विभागों और वन विभाग सहित पचास करोड़ से अधिक राशि के देयकों के कोषालय से आहरण के लिए छूट मिलेगी उनमें चौदहवें वित्त आयोग से संबंधित आहरण, मप्र वेट अधिनियम के तहत देय वापसियों से संबंधित आहरण, भू अर्जन से संबंधित राशि एवं वन भूमि के परिवर्तन के लिए आवश्यक आहरण, केन्द्रीय मुद्रांक डिपो नासिक से संबंधित आहरण, केंद्र की राशि राज्य शासन के खाते में जमा होने पर आहरण, बाह्य पोषित योजनाओं के प्रतिपूर्ति से संबंधित आहरण और स्वेच्छानुदान अथवा विधायक निधि से संबंधित आहरण को लेकर रहेगी।