भोपाल। खंडवा जेल से फरार सिमी आतंकी राजस्थान के अलवर शहर में भी एक महीना रुके थे। उनकी योजना दिल्ली व मुजफ्फरनगर स्थित आरएसएस के दफ्तर पर हमले की थी, बाद में उन्होंने यह प्लान बदल दिया। अलवर दिल्ली से महज 100 किलोमीटर दूर है। राजस्थान एटीएस द्वारा भोपाल की जेल में बंद सिमी आतंकियों से पूछताछ में इसका खुलासा हुआ।
यह पूछताछ राजस्थान एटीएस ने 2 अप्रैल को राजधानी के पुलिस मुख्यालय में एटीएस की नेशनल कॉफ्रेंस में हिस्सा लेने के बाद की थी। यहां अमजद, मेहबूब, जाकिर, एजाज और असलम ने फर्जी आईडी पर मकान किराये पर लिया और आठ से दस सिम भी खरीदी थी।
एजाज और असलम को ओडिसा में हुए इनकाउंटर में मार गिराया गया जबकि अमजद, मेहबूब और जाकिर व बाद में इनसे जुड़ा सलीक अभी जेल में बंद है। राजस्थान एटीएस को आतंकियों के दिल्ली के पास रुके होने की सूचना मिली थी जिसके बाद दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर अलवर में संदिग्ध ठिकानों पर छापे भी मारे थे लेकिन तब तक आतंकी वहां से जा चुके थे।
रिफ्यूजी कैंप में गए थे
एटीएस सूत्रों के अनुसार सिमी आतंकियों की योजना दिल्ली सहित मुज्जफरनगर में आरएसएस के स्थानों पर धमाके करने की थी पर दिल्ली में कड़ी सुरक्षा के बीच उनकी प्लानिंग काम नहीं कर पा रही थी। इधर आतंकियों ने मुज्जफरनगर में सिलसिलेवार धमाकों की योजना बनाई। आतंकी यहां दंगों के बाद स्थापित किए गए रिफ्यूजी कैंप में भी गए थे।
मालूम हो पूर्व की पूछताछ में यह पता चल चुका था कि आतंकी मुज्जफरनगर दंगों का बदला लेना चाहते थे लेकिन अलवर में पकड़े जाने के डर से उन्होंने वहां से बिजनौर का रुख किया। इधर एटीएस ने अलवर में जहां यह आतंकी ठहरे थे उस मकान मालिक को भी हिरासत में ले लिया है।
बिजनौर में चौहान और पंडित बनकर रहे
जानकारी के अनुसार पांचो सिमी आतंकियों ने मुज्जफरनगर में धमाकों की जगह चुनने के बाद यूपी के बिजनौर में बम बनाने का काम शुरू करने के लिए दो मकान किराए पर लिए। एक मकान में वो मुस्लिम आई से तो दूसरे में चौहान और पंडित बनकर मकान किराये पर लिया।
जहां आतंकी बम बना भी रहे थे पर इस दौरान घर में ही विस्फोट होने के चलते उनका प्लान चौपट हो गया और सभी वहां से भाग कर ओडिसा पहुंच गए। घटना में बुरी तरह जख्मी हुए आतंकी मेहबूब की देखभाल करने के लिए उसकी मां को खंडवा से खासतौर पर बुलाया गया। नजमा अभी भी ओडिसा के जेल में बंद है।