अनूप दुबे/भोपाल। घर में खुशियों के बीच दो हाथ ऐसे भी होते हैं, जो न तो निमंत्रण के मोहताज होते हैं और न उन्हें आव-भगत की चाहत होती है, लेकिन उनके आए बिना आपके यहां का कार्यक्रम अधूरा सा रहता है। हम बात कर रहे हैं उन किन्नरों की जो आपकी बलाएं लेकर दुआएं देने के बदले जो भी नेग खुशी से मिल जाए ले लेते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अड़ीबाजी और जबरन वसूली शुरू कर दी तो लोग उनसे दूरी बनाने लगे।
लोगों के बीच बिगड़ती छवि को सुधारने किन्नरों ने अब पहल करते हुए 'बधाई' या यूं कहें नेग की रकम अधिकतम 1100 रुपए करने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्होंने पुलिस और प्रशासन से इसे लागू कराने की मांग भी की है। अगर इस निर्णय पर अमल होता है तो लोगों के घर एक बार फिर किन्नरों की 'ताली' खुशी-खुशी बजने लगेगी।