
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस संजय यादव की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता अमूल्य निधि जन स्वास्थ्य अभियान स्टेट कोर मेम्बर की ओर से अधिवक्ता राजेश चंद व अंजना कुररिया ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आलीराजपुर में बड़ौदा के दीपक फाउंडेशन को स्वास्थ्य योजनाओं के संचालन का ठेका बिना निविदा प्रक्रिया के सौंपकर उपकृत किया गया है। यह 27 जिलों में स्वास्थ्य योजनाओं के निजीकरण का पहला कदम है। यदि इस पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो स्थिति बदतर हो जाएगी। सवाल उठता है कि जो फाउंडेशन राज्य शासन की अपेक्षा बेहद खराब अनुभव रखता है, उसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी अवैधानिक तरीके से भला कैसे दे दी गई?