इंदौर। ब्लैक मनी को लेकर पनामा पेपर्स नाम से हुए खुलासे में इंदौर के नर्मदा प्रोजेक्ट के रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री प्रभाष सांखला का भी नाम आया है। पेपर्स में खुलासा हुआ है कि सांखला पनामा में उनके दामाद राजीव सिंह द्वारा वर्ष 2012 में स्थापित की गई लोटस होराइजन कंपनी में भागीदार हैं।
कंपनी 10 हजार डाॅलर से शुरू हुई थी। सिंह कंपनी में प्रेसीडेंट और सांखला की बेटी शीतल सिंह डायरेक्टर हैं। दोनों कनाडा में रहते हैं। इस कंपनी की दो अन्य सहयोगी कंपनियां लोटस एविएशन और एसएएस प्रिसाइजन मैन्यूफेक्चरिंग भी हैं। लोटस एविएशन का मुख्यालय फ्लोरिडा, जबकि एसएएस की बेंगलुरू में यूनिट और मुख्यालय कनाडा में है।
नर्मदा तृतीय चरण लाने में सबसे अहम भूमिका रही
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में सांखला के अच्छे काम को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उन्हें इंदौर के सबसे कठिन नर्मदा तीसरे चरण के प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। सरकार ने इसे प्रोजेक्ट उदय नाम दिया था। अलग से प्रोजेक्ट इम्प्लीटेशन यूनिट (पीआईयू) बनाई। इस यूनिट का हेड सांखला को बनाया गया। अधीक्षण यंत्री पद से रिटायर होने के बाद भी सांखला प्रोजेक्ट से जुड़े रहे। बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर, उन्होंने रिकॉर्ड समय में इस कठिन प्रोजेक्ट को पूरा किया।
मैं सिर्फ ऑनरेरी डायरेक्टर : सांखला
मेरे दामाद का अमेरिका और कनाडा में एविएशन का कारोबार है। 2012 में दामाद राजीव और बेटी शीतल ने लोटस होराइजन कंपनी बनाई थी, जिसमें उनके बेटे की उम्र कम होने के कारण मुझे डायरेक्टर बनाया। मैंने हिस्सेदारी पूछी तो बताया कि कंपनी 10 हजार डाॅलर की है। आपकी हिस्सेदारी एक फीसदी यानी 100 डाॅलर की है। अब जब यह मुद्दा उठा तो मैंने दामाद से अपना नाम हटाने की बात कही। उन्होंने बताया कि आपको केवल ऑनरेरी डायरेक्टर बनाया है। मैंने कंपनी से एक पैसे का भी आर्थिक लाभ नहीं उठाया है। (प्रभाष सांखला ने बताया)
अब क्या हो सकता है
विदेश में निवेश की जानकारी 2015 के रिटर्न में देना जरूरी था, 10 साल की सजा हो सकती है. विदेश में हुए निवेश, परिसंपत्तियों की जानकारी वर्ष 2015 के रिटर्न में देना आयकर विभाग ने अनिवार्य कर दिया था। संसद ने भी अनडिस्क्लोज्ड फॉरेन इनकम एंड एसेट एक्ट-2015 पास कर दिया है, जो अघोषित विदेशी संपत्ति पर लागू होता है। यदि किसी ने इसकी रिटर्न में जानकारी नहीं दी थी तो संपत्ति पर 30 फीसदी टैक्स और तीन गुना जुर्माना लग सकता है। जानकारी छिपाने वाले को 10 साल की सजा भी हो सकती है।
अभय शर्मा, सीए