
वैसे भी चीन ने यह रवैया अपनाया है। इससे दिल्ली व बीजिंग के बीच आतंकवाद को लेकर जो सहयोग बनता दिख रहा था, वह जमीन पर आने से पहले ही बिखर गया। चीन इस पर अड़ गया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित किया जाना एक गंभीर मसला है। इसके बाद उसने पठानकोट आंतकवादी हमले के मुख्य षड्यंत्रकारी जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने की भारत की कोशिश को संयुक्त राष्ट्र में रोक दिया। जबकि पठानकोट हमले के तुरंत बाद ही अफगानिस्तान के भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला बोला गया था और जांच में पाया गया कि उस हमले में भी जैश-ए-मुहम्मद शामिल था। साल 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में भी इसी संगठन के लोग शामिल थे।
पाकिस्तान में चीन से रिश्तों के बारे में कहा जाता रहा है कि ये 'हिमालय से भी ऊंचे और शहद से भी मीठे' हैं, लेकिन अब लगता है कि ये रिश्ते उस ऊंचाई को भी पार कर गए हैं। चीन के रणनीतिकार अब खुले तौर पर यह कहते हैं कि पाकिस्तान उनके देश का असली सहयोगी है। हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बियों की आवाजाही और पाकिस्तान-चीन का संयुक्त सैन्य अभ्यास इस क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को चुनौती ही नहीं दे रहा, बल्कि क्षेत्र के नौसैन्य संतुलन को भी बिगाड़ रहा है। इस बीच चीन इस क्षेत्र के भूभाग की स्थिति को भी फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान में चल रही आर्थिक गलियारा परियोजना के तहत वह वहां कई नागरिक, ऊर्जा और सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं तैयार कर रहा है।ये परियोजनाएं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित और बलटिस्तान जैसे क्षेत्रों में होंगी । चीन ने एक तरह से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान के गैर कानूनी कब्जे को मान्यता दे दी है। चीन दुनिया का तीसरे नंबर का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है और उसका सबसे बड़ा खरीदार पाकिस्तान है। वह पाकिस्तान को सिर्फ परंपरागत हथियारों का निर्यात ही नहीं कर रहा, बल्कि परमाणु व मिसाइल कार्यक्रम को स्थापित करने में भी उसकी मदद कर रहा है। पाकिस्तान हर तरह से यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारत के मुकाबले पाकिस्तान की सैनिक स्थिति मजबूत बनी रहे। इसलिए चीन को पाकिस्तान में हमेशा ही एक भरोसमंद सहयोगी माना जाता है। जब भी भारत का मामला आता है, वह पाकिस्तान के साथ खड़ा हो जाता है। यहां तक कि अब वह भारत के खिलाफ आतंकवादियों के इस्तेमाल करने की पाकिस्तान की रणनीति को भी समर्थन देने लगा है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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