तेज भाग रहे हैं बिजली के डिजिटल मीटर, लैब टेस्टिंग संदिग्ध

ग्वालियर। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अब लैब में मीटर चेकिंग में भी उपभोक्ताओं को धोखा देने लगी है। लैब में मीटर चेकिंग के दौरान उपभोक्ताओं को नहीं बुलाया जा रहा है। उनकी गैरमौजूदगी में मीटर की जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जब वह जोन में मीटर देखने पहुंचता है तो उसे मीटर ओके बताया जा रहा है। ऐसे में तैयार की गई रिपोर्ट संदेह के घेरे में आ रही है। नियमानुसार लैब में जांच के दौरान उपभोक्ताओं की मौजूदगी जरूरी है।

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने आरएपीडीआरपी योजना के तहत शहर के मीटरों में बदलाव किया है। इलेक्ट्रॉनिक मीटर की जगह डिजिटल मीटर लगा दिए हैं। इन मीटरों के तेज भागने की शिकायत आने लगी है। इसके चलते लोगों ने मीटरों को चेक कराना शुरू कर दिया है। हर महीने 300 से अधिक मीटर जांच के लिए आ रहे हैं। 90 फीसदी मीटरों में इनके तेज चलने की शिकायत मिली है। मीटर के तेज भागने की स्थिति में कंपनी को 6 महीने का बिल माफ करना पड़ता है और मीटर के पैसे भी कंपनी को देने पड़ रहे थे। इसके चलते कंपनी ने उपभोक्ताओं की गैरमौजूदगी में ही मीटर जांचने शुरू कर दिए हैं। इससे यह तय नहीं हो पा रहा है कि लैब में मीटर को चेक किया गया या नहीं। अधिकारियों ने कागजों पर रिपोर्ट तैयार कर दी है।

मीटर चेकिंग की यह है व्यवस्था
अगर किसी उपभोक्ता को अपना मीटर लैब में चैक कराना है तो सिंगल फेस के मीटर के लिए 50 रुपए व थ्री फेस के मीटर के 75 रुपए जमा होते हैं। पैसे जमा होने के बाद पुराना मीटर हटा लिया जाता है और उसकी जगह नया लगा दिया जाता है।

जोन कार्यालय से मीटर रोशनी घर स्थित लैब में भेजा जाता है। उपभोक्ता को सूचना दी जाती है कि अपके मीटर की जांच इस तारीख को होगी। उस दौरान रोशनी घर स्थित लैब पर मौजूद रहें। उसकी मौजूदगी में मीटर को खोला जाता है। उसके हस्ताक्षर होने के बाद मीटर को उसके समक्ष चेक किया जाता है। फिर रिपोर्ट तैयार होती है, लेकिन अब कंपनी उपभोक्ताओं को नहीं बुला रही है।

अगर मीटर तेज चलता है तो कंपनी को 6 महीने का बिल माफ करना पड़ता है। मीटर जितना फास्ट चला है, उतने प्रतिशत बिल कम हो जाता है। नए मीटर के पैसे कंपनी को देने होते हैं।

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