
आज यहां जारी अपने बयान में श्री मिश्रा ने कहा है कि क्या यह सच है कि इस प्रदेश के महत्वपूर्ण और कमाऊ जल संसाधन विभाग में चौबे के अलावा और कोई योग्य अधिकारी नहीं है या राज्य सरकार से उसका आर्थिक सौदा नहीं हो पा रहा है, यह महत्वपूर्ण तथ्य भी सरकार को स्पष्ट करना चाहिए? उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार के इस कदम से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यदक्षता और मनोबल जहां प्रभावित होगा, वहीं अन्य अधिकारी अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस भी करेंगे।
मिश्रा ने म.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति अजय मानिकराव खानविलकर से भी आग्रह किया है कि वे भारी भरकम लेनदेन के बाद हुए मंत्रिपरिषद की इस विषयक मंजूरी पर स्वतः संज्ञान लेकर प्रकाशित समाचार पत्र को ही याचिका के रूप में स्वीकार कर जनहित में निर्णय लें।