
फर्जी अंकसूची के आधार पर संविदा शिक्षक बने ऋषिराज चतुर्वेदी और अनिल कुमार चतुर्वेदी के खिलाफ एसटीएफ ने बीती 19 जनवरी को एफआईआर दर्ज की थी। इन दोनों समेत पांचवें आरोपी की गिरफ्तारी पर पता चला कि डीएड और संस्कृत बोर्ड की फर्जी अंकसूची कंपू, ग्वालियर निवासी रमेश सिंह कुशवाहा ने बनवाई थी। टीम ने रमेश को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया।
पूछताछ में रमेश ने बताया कि 1992 में एलएलबी करने के बाद उसने मुरैना के स्कूल में नकल कराने का ठेका लेना शुरू कर दिया। वर्ष 1997 से वह फर्जी मार्कशीट बनवाने का काम कर रहा है। उसे याद ही नहीं कि अब तक उसने कितनी फर्जी मार्कशीट बनवाई हैं। हालांकि, एसटीएफ के मुताबिक उससे 52 फर्जी मार्कशीट की जानकारी मिली है। एसटीएफ ने रमेश को मंगलवार शाम अदालत में पेश कर जेल भेज दिया है।
संविदा शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच शुरू
इस गड़बड़ी के उजागर होने के बाद एसटीएफ ने संविदा शिक्षक वर्ग-3 की परीक्षा देकर भर्ती हुए सभी संविदा शिक्षकों को जांच के दायरे में ले लिया है। टीम ने सीईओ जनपद पंचायत सबलगढ़ से संविदा शिक्षकों के दस्तावेज मांगे हैं। क्योंकि इस मामले में गिरफ्तार हुए ऋषिराज चतुर्वेदी और अनिल कुमार चतुर्वेदी इसी जनपद पंचायत क्षेत्र में आते हैं। इसके बाद प्रदेश भर के सीईओ जनपद पंचायतों से अन्य संविदा शिक्षकों की जानकारी मांगी जाएगी। टीम को शक है कि इससे उन लोगों के नाम सामने आ जाएंगे, जो फर्जी अंकसूची या दस्तावेज लगाकर भर्ती हुए हैं।
कंप्यूटर शॉप पर बनाते थे मार्कशीट
एसटीएफ के मुताबिक रमेश मप्र बोर्ड, सीबीएससी, डीएड, बीएड और संस्कृत बोर्ड परीक्षा की अंकसूचियां बनवाता था। उसने बताया है कि यह काम वह ग्वालियर निवासी अपने दोस्त रहमान बेग के साथ मिलकर करता था। रहमान की कंप्यूटर की दुकान है। यहीं स्कैन कर फर्जी मार्कशीट तैयार की जाती थी। एआईजी कमल मौर्या के मुताबिक रहमान को फर्जी दस्तावेज मामले में दिल्ली पुलिस ने जनवरी 2016 में गिरफ्तार किया था। वह तभी से तिहाड़ जेल में बंद है।