मोदी सरकार ने ई कॉमर्स में 100% FDI को मंजूरी दे दी है। इस बहाने भारत के खुदरा बाजार में 100% विदेशी निवेश आने वाला है। इससे भारत की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों को तो फायदा होगा परंतु छोटी ई कॉमर्स कंपनियां एवं आॅनलाइन की मार झेल रहे खुदरा व्यापारियों को खासा नुक्सान होगा। वो आने वाली कॉर्पोरेट लड़ाई में भागीदारी तक नहीं कर पाएंगे और खत्म हो जाएंगे।
विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए
हालांकि अभी सरकार ने सौ फीसद ऑटोमैटिक एफडीआई की मंजूरी केवल ऑनलाइन खुदरा बिक्री की सुविधा देने वाली कंपनियों को ही दी है। फिलहाल, इंवेंट्री आधारित ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए एफडीआई के दरवाजे नहीं खुले हैं। केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय के औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने खुदरा बिक्री से जुड़े ई-कॉमर्स के विकल्प में सौ फीसद एफडीआई के दिशानिर्देश मंगलवार को जारी कर दिए। सरकार का इरादा इसके माध्यम से देश में अधिक से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करना है।
सरकार की दलील
मार्केट प्लेस फॉर्मेट वाली ई-कॉमर्स कंपनियों से आशय ऐसी फर्मों से है, जो खरीदार और विक्रेता के बीच सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती हैं। ये फर्मे खुद ग्राहकों को उत्पाद सप्लाई नहीं करती, बल्कि ग्राहकों और विक्रेताओं के बीच पुल का काम करती हैं। सरकार का यह फैसला इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ही तीन दिन के विदेश दौरे पर रवाना हुए हैं। वह बेल्जियम के बाद अमेरिका में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। अमेरिका लगातार ई-कॉमर्स कंपनियों में एफडीआई खोले जाने की वकालत कर रहा था।
असल में यह होगा
100% FDI आने के बाद होगा यह कि ई कॉमर्स कंपनियां तेजी से आॅफलाइन बाजार पर कब्जा करेंगी और वो सारे खुदरा व्यापारी जो उत्पादक का माल ग्राहक तक पहुंचाने का काम करते हैं, लगातार घाटे में चले जाएंगे, क्योंकि वो विदेशी कंपनियों के भारी डिस्काउंट आॅफर्स का सामना ही नहीं कर पाएंगे।