
दरअसल अब से 32 साल पहले हरपालपुर नगर परिषद में वहीं के निवासी नबाब सिंह की नियुक्ति 15 मार्च 1984 को ड्राइवर के पद पर की गई थी। लगभग 11 साल तक नबाब नगर परिषद में ही ड्राइवर के पद पर कार्यरत रहा। इस दौरान वह तत्कालीन सीएमओ की सेवा करने लगा। नबाब के व्यवहार से खुश होकर तत्कालीन सीएमओ ने 25 नवंबर 1995 को एक आवेदन लेकर संकल्प क्रमांक 66 में कैडर एवं नियम विरुद्ध तरीके से नवाब का पद बदल दिया। ड्राइवर नबाब सिंह को पदोन्नत करके मोहर्र बना दिया।
ऐसे पहुंचा ड्राइवर से सीएमओ के पद तक
सीएमओ ने 2 जनवरी 1996 को नवाब सिंह को ड्राइवर से क्लर्क के पद पर पदोन्नति दे दी। इस दौरान एक भी बार उसकी योग्यता का परीक्षण नहीं हुआ। क्लर्क के पद पर रहते हुए 19 दिसंबर 2007 को जिला चयन समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में समिति के सभी सदस्यों ने एक राय होकर प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव के माध्यम से नियम विरुद्ध तरीके से नबाब को क्लर्क के पद से पदोन्नत कर 7 जनवरी 2008 को सहायक राजस्व निरीक्षक बना दिया गया। सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर रहते हुए नबाब सिंह ने भोपाल में बैठे नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर ली और दो साल पहले प्रभारी सीएमओ बनाकर चन्दीला पदस्थ किया गया।
इस तरह से हुआ खुलासा
हरपालपुर निवासी इसराज मोहम्मद ने इस मामले की शिकायत नगरीय प्रशासन सागर के उपसंचालक से की थी। शिकायत के बाद उपसंचालक सागर ने नबाब सिंह की पदोन्नति में पद परिवर्तन नियमों का उल्लंघन करने पर कार्यवाही निरस्त करने का आदेश जारी किया था। उपसंचालक सागर ने तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेश बहुगुणा को पत्र लिखकर कार्यवाही करने को कहा था, लेकिन अब तक गढ़ीमलहरा के सीएमओ नबाब सिंह पर कार्यवाही नहीं हुई हैं।
हाईकोर्ट ने सरकार को किया कारण बताओ नोटिस जारी
मामले को लेकर इसराज मोहम्मद ने जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय यादव की युगल पीठ ने सुनवाई करते हुए नगरीय प्रशासन विभाग, आयुक्त नगरीय प्रशासन, उपसंचालक नगरीय प्रशासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने के कड़े निर्देश दिए हैं। कोर्ट की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को की जाएगी।