अजय सिंह की 3 चुनाव याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में खारिज

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जबलपुर। सीधी जिले की चुरहट विधानसभा सीट से वर्ष 2014 में चुनाव जीतने वाले मौजूदा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। उनकी आपत्तियों पर मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर बैंच द्वारा दिए गए आदेशों पर हैरानी जताते हुए जस्टिस जे. चेलामेश्वर और जस्टिस एएम सप्रे की बैंच ने कहा है कि चुनाव याचिका को लेकर जो जिम्मेदारी भारतीय संसद ने सौंपी है, हाईकोर्ट उसे गंभीरता से निभाए। बैंच ने यह फैसला अजय सिंह राहुल और चुनाव में पराजित उम्मीदवार शरदेन्दु तिवारी की याचिकाओं पर दिया।

जाति के नाम पर वोट हासिल करने के आरोप
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में हुई विधानसभा चुनाव में चुरहट सीट से कांग्रेस के अजय सिंह राहुल जीते थे। उनके निर्वाचन के खिलाफ शरदेन्दु तिवारी ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करके अजय सिंह पर नोट से वोट खरीदने और जाति के नाम पर वोट हासिल करने के आरोप लगाए थे। इन आरोपों पर अजय सिंह की ओर से हाईकोर्ट में दो आपत्तियां दी गईं। पहली कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, दूसरी कि जो भ्रष्ट आचरण को लेकर उन पर आरोप लगाए गए, उनके समर्थन में याचिकाकर्ता शरदेन्दु तिवारी ने कोई हलफनामा नहीं दिया।

तीनों याचिकाएं खारिज कर दीं
हाईकोर्ट ने अजय सिंह की इन दोनों आपत्तियों को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने एक पुनर्विचार याचिका लगाई, लेकिन वह भी खारिज कर दी गई। इस पर अजय सिंह राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में तीन विशेष अनुमति याचिकाएं दायर कीं। वहीं हाईकोर्ट के फैसले में कुछ विरोधाभास को दूर करने शरदेन्दु तिवारी ने एक याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान शरदेन्दु तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अधिवक्ता प्रकाश उपाध्याय ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद बैंच ने सुरक्षित रखा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर नाखुशी जताते हुए अजय सिंह की तीनों याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि शरदेन्दु तिवारी की याचिका मंजूर कर ली।

ये कहा सुप्रीम कोर्ट ने
इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट ने बेहद असंतोषजनक तरीका अपनाया। चुनाव की प्रक्रिया नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित तो है ही, साथ ही यह राजनीतिक पवित्रता का मसला है। चुनाव को लेकर दायर होने वाले मामले काफी गंभीर होते हैं, जिन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यही वजह है कि संसद ने चुनाव याचिकाओं की सुनवाई के लिए उच्च न्यायालयों को जवाबदारी सौंपी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट के संबंधित जज ने इस प्रक्रिया को हल्के-फुल्के तरीके से लिया। जिस हलफनामे को लेकर आपत्ति दी गई, वह चुनाव याचिका में संलग्न था।
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