
फर्जी तरीके से सरकारी पैसे हड़पने का यह खुलासा शुक्रवार को सीएजी द्वारा वस्त्र मंत्रालय को लेकर संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में किया है। जिसमें बताया गया कि वर्ष 2007 से 2014 के बीच वस्त्र मंत्रालय ने कपडा उद्योग को अत्याधुनिक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नायन निधि योजना(टफ्स)के तहत करीब 18580 करोड़ रुपए खर्च किए।
लेकिन इस दौरान फर्जी कारोबारी बनकर तमाम लोगों ने यह पैसा हड़प लिया। इनमें मप्र के भी सात कारोबारियों को पकड़ा गया है। जिन्होंने केंद्र को 20 करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगाया। रिपोर्ट के मुताबिक मप्र के अलावा गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु में भी गड़बडी पकडी गई है, लेकिन सबसे ज्यादा गड़बड़ी मप्र में पकड़ी गई। जहां 20 करोड़ रुपए गलत तरीके से लोगों ने हड़प लिए।
कैसे पकड़ी गई गड़बड़ी
योजना के तहत मप्र सहित देश भर के करीब 22998 लोगों को योजना के तहत लाभ दिया गया था। कैग ने इनमें से जांच के दौरान मप्र सहित छह राज्यों के 3231 लाभार्थियों की औचक जांच की। जिसमें पाया कि 2007 से 2014 के बीच 129 ऐसे कारोबारी मिले,जिन्होंने पैसा तो लिया, पर न मशीने खरीदी और न ही कारखाना लगाया। क्योंकि जांच के दौरान सीएजी की टीम जब उन पतों पर पहुंती, तो पता चला कि इस पते पर कोई उद्योग नहीं है। इतना ही नहीं, इन्होंने मशीनों की खरीदी का जो बिल दिया था, उसकी एंट्री कस्टम विभाग में नहीं थी।
46 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी, इनमें 20 करोड़ से ज्यादा मप्र में खपे
कैग ने वस्त्र मंत्रालय के पैसों को गलत तरीके से हड़पने के जो मामले पकड़े,उनमें करीब 46 करोड़ की गड़बड़ी पाई गई। खासबात यह है कि इनमें सबसे अधिक राशि की गड़बड़ी मप्र में मिली। जहां 20 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि लोगों ने गलत तरीके से हड़पी थी।