पढ़िए भारतीय रेल का रोचक इतिहास

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। भारत यूं तो कृषि प्रधान देश रहा है। अपने शुरुआती समय से ही इस देश में आवागमन और परिवहन के साथ पशु द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों का महत्व रहा है। बैल गाड़ी, घोड़ा गाड़ी, जैसे आवागमन के यहां प्रमुख साधन रहे।

दरअसल, ग्रामीण और आंचलिक परिवेश ने इस देश ने अपने इतिहास में कभी यह नहीं सोचा था कि भारत का इस तरह से यंत्रीकरण और आधुनिकीकरण हो पाएगा। लेकिन अंग्रेजों के आने बाद पूरे भारत की तस्वीर मानों यूरोपीय संस्कृति और आधुनिकीकरण से छा गई और भारत में सबसे बड़ी क्रांति रेल के चलने के बाद ही हुई। रेल के आने के बाद मानों भारत वास्तव में खुद को ठीक से देख पाया समझ पाया और यहां की जनता ने अपने देश को देखा।

बड़ा रोचक है भारत में रेलवे का इतिहास..! भारत यूं तो कृषि प्रधान देश रहा है। अपने शुरुआती समय से ही इस देश में आवागमन और परिवहन के साथ पशु द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों का महत्व रहा है।

भारत में सबसे पहले मुंबई से ठाणे के बीच रेलगाड़ी चली थी। 16 अप्रैल 1853 तकरीबन 35 किमी के सफर पर चली भारत की पहली रेल की गति ने देश को ही गति दी। पहली ट्रेन का इंजन भाप का था और उसके पीछे 14 डिब्बों की रेलगाड़ी थी, जो मुंबई से ठाणे के बीच रवाना हुई थी।

समय के साथ भारतीय रेलवे का बहुत ही शानदार विकास हुआ। आज भारतीय रेलवे का नेटवर्क 64 हजार 15 किमी से भी कहीं ज्यादा लंबा हो चुका है। और तकरीबन 15 हजार रेलगाड़ियां इस नेटवर्क पर दौड़ती हैं और इस नेटवर्क पर 6 हजार से ज्यादा स्टेशन हैं और करीब 2 करोड़ से ज्यादा लोग रोज रेलगाड़ियों के माध्यम से इधर से उधर आते-जाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय रेलवे का नेटवर्क दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है।।
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