ब्राह्मणों और दलितों के पूर्वज एक ही थे

भारत में अंतरजातीय विवाह पर रोक कब लगी थी इसकी जानकारी होने का दावा वैज्ञानिकों ने किया है. राष्ट्रीय जिनोमेक्स बायोमेडिकल संस्थान ने दावा किया है कि आज से करीब 1600 साल पहले जब देश में गुप्तवंश का शासन था तब अंतरजातीय विवाह पर रोक लगाई गई थी. संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि अलग-अलग 20 समुदायों के असंबद्ध भारतीयों के 367 डीएनए सैंपल लेकर इस बात पर शोधस किया गया है. हालांकि जाति व्यवस्था गुप्तकाल से बहुत पहले देश जन्म ले चुकी थी.

इससे पहले इस विषय पर अमेरिका और भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत को उत्तर और दक्षिण में बांटकर अध्ययन किया था. जिसमें दावा किया गया था कि मौजूदा भारत में पाई जाने वाली विभिन्न जातियां और समुदाय इसी तरह विकसित हुई होंगी. लेकिन इन वैज्ञानिकों के अध्यनन में तिब्बत-बर्मन, उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, ऑस्ट्रो-एशियाटिक समुदाय को भी शामिल किया गया है. जिसमें पाया गया है कि पहले अतरजातीय विवाह होते थे. हालांकि एक वैज्ञानिक अनालाबहा बसु ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि इस दावे को और पुख्ता करने के लिए हमारे अध्ययन को अधिक विस्तृत करना होगा जिसके लिए हमें और डीएनए सैंपल लेने होंगे.

इस अध्ययन में खत्री, ब्राह्मण, अय्यर, द्रविण, मराठा, कई आदिवासी समुदाय, अंडमान निकोबार में रहने वाले लोगों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं. डॉ बसु ने बताया कि अगर आप ब्राह्मण हैं तो आपके पूर्वज उत्तर भारतीय रहे होंगे और अगर छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी समुदाय के हैं तो आपके पूर्वज आस्ट्रो-एशियाटिक थे.

लेकिन वैज्ञानिकों के एक दावे को जानकर आप हैरान होंगे और शायद ये बहस का मुद्दा भी हो कि ब्राह्मणों और दलितों के एक ही पूर्वज थे.
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