खुलासा: पुलिस हिरासत में कन्हैया की 3 घंटे पिटाई की थी

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के आरोपी छात्र नेता व जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में हुई पिटाई से संबंधित एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बता दें कि 15 फरवरी को कोर्ट परिसर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कुछ वकीलों ने पिटाई की थी। एक टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि आरोपी वकीलों ने पुलिस हिरासत में कन्हैया कुमार की तीन घंटे तक पिटाई की थी।

विक्रम चौहान नामक वकील को स्टिंग के दौरान यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हमने कन्हैया को इतना पीटा था कि उसने पैंट में पेशाब कर दिया था। देशद्रोहियों को छोड़ेंगे नहीं। गौरतलब है कि टीवी चैनल इंडिया टुडे ने विक्रम चौहान व साथी वकील यशपाल सिंह का स्टिंग जारी किया है। इसमें दोनों कन्हैया से मारपीट की बात मान रहे हैं। दोनों ने यह भी कबूल किया है कि कन्हैया की पिटाई की साजिश पहले ही रच ली गई थी। स्टिंग के दौरान चौहान को यह कहते हुए सुना गया कि वो देशद्रोहियों को नहीं छोड़ेगा।

हालांकि, उन्होंने मीडिया से बातचीत में इन आरोपों को नकार दिया था। इन वकीलों पर पत्रकारों से मारपीट का भी आरोप है, लेकिन इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।

स्टिंग में विक्रम चौहान का साथी यशपाल कहते हैं, 'हमने कन्हैया को तीन घंटे तक मारा। उसके पैरों को निशाना बनाया। हमने उससे भारत माता की जय के नारे लगवाए। पिटाई के चलते उसने पैंट में ही पेशाब तक कर दी थी।' यशपाल आगे बताता है, 'पेट्रोल बम लेकर जाऊंगा। मैं उसे छोड़ने वाला नहीं हूं, भले ही मुझ पर कत्ल का मामला दर्ज हो जाए।'

यशपाल के अनुसार, 'यदि गिरफ्तार किया गया तो बेल नहीं लूंगा। उस सेल में जाना चाहूंगा, जहां कन्हैया को रखा गया है। मैं एक-दो दिन वहीं रहना चाहूंगा और वहीं कन्हैया की पिटाई करूंगा।'

इसके साथ ही उसने ये भी माना कि उसने पत्रकारों व जेएनयू प्रोफेसरों की पिटाई भी की थी। उसने कहा, 'हम केवल इतना जानते हैं कि अगर आपको इस देश में रहना है तो देश के बारे में ही सोचना होगा। कन्हैया की पिटाई के वक्त पुलिस ने हमारा पूरा सपोर्ट किया।'

यशपाल के मुताबिक, कुछ पुलिसवालों ने उससे कहा कि वे भी कन्हैया को पीटना चाहते हैं, लेकिन वर्दी में होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाए। वहीं, विक्रम चौहान ने कहा कि खुदीराम बोस 17 और भगत सिंह 23 साल की उम्र में शहीद हो गए थे और इसलिए हमने जो भी किया वो सही था।
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