
इसमें बताया गया कि कार्यक्रम समाप्ति के दौरान एक बच्चा भीड़ में मंत्री के पैर पकड़ने की कोशिश कर रहा था। उसे सुरक्षाकर्मियों ने हटाया था। एक नवंबर को पन्ना के प्राणनाथ बस स्टैंड पर स्वच्छता कार्यक्रम से लौट रहीं पीएचई मंत्री का एक वीडियो वायरल हुआ था। आरोप लगाया गया था कि मंत्री ने बच्चे को एक रुपए मांगने पर लात मारकर हटाया और फिर सुरक्षाकर्मियों ने उसे उठाकर अलग कर दिया।
इस मामले के बाद 2 दिन तक मंत्री चुप रहीं, तीसरे दिन बच्चे को शराबी बताया। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी, पर अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा ने इजाजत नहीं दी थी, वहीं मानव अधिकार और बाल आयोग ने घटना पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर को नोटिस जारी कर प्रतिवेदन मांगा था।
कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर आयोग को भेज दी। इसमें मंत्री को क्लीनचिट दी गई है। प्रतिवेदन में यह भी बताया गया कि घटना उस तरह की नहीं थी, जिस तरह की प्रचारित हुई। ऐसा दिखाया गया कि मंत्री बालक के सिर पर लात मारकर उसे हटा रही हैं, जबकि वे पैर छुड़ाकर आगे बढ़ी थीं। कलेक्टर ने रिपोर्ट के गोपनीय होने का हवाला देते हुए खुलासा करने से इंकार किया है।