अमेरिका को चाहिए भोपाल में जन्मा साइंटिस्ट

भोपाल। उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद पाकिस्तान न्यूक्लियर साइंटिस्ट अब्दुल कादिर खान फिर सुर्खियों आ गए हैं। भोपाल में जन्मे, अब्दुल कादिर खान वही शख्स हैं, जिनके ऊपर उत्तर कोरिया को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी बेचने का आरोप लगा था। जानिए, अमेरिका को क्यों चाहिए अब्दुल कादिर खान...

अमेरिका को चाहिए कादिर खान
2004 में अब्दुल कादिर खान पर आरोप लगे कि उन्होंने पाकिस्तानी परमाणु बम की तकनीक ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को बेच दी है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी उन पर काफी पहले से नजर रखी हुई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसी का दावा था कि कादिर खान ने परमाणु तकनीक बेचने के लिए एक नेटवर्क तैयार कर रखा था और ईरान व पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम लगभग एक जैसा है।

अमेरिका कई बार पाकिस्तान से अब्दुल कादिर खान को अमेरिका को सौंपने की मांग कर चुका है, लेकिन पाकिस्तान लगातार मना कर रहा है। टाइम मैगजीन ने तो उन्हें परमाणु बम का व्यापारी बता दिया। अमेरिका ने अपनी संसद में अब्दुल कादिर खान से पूछताछ के लिए एक विधेयक भी पारित किया है। अमेरिका खान से परमाणु तकनीक बेचने के मामले में पूछताछ करना चाहता है।

भोपाल में पैदा हुए, शुरुआती पढ़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए
डॉ. अब्दुल कादिर खान का जन्म 1 अप्रैल 1936 को भोपाल में हुआ था। स्कूल की शुरुआती पढ़ाई उन्होंने भोपाल से ही की। 1952 में वे पाकिस्तान चले गए। वहां कराची से कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने विदेश में भी पढ़ाई की। जर्मनी सहित यूरोप के कई देशों में उन्होंने अपनी पढ़ाई की है। उन्होंने जर्मन महिला से शादी की।

आरोप स्वीकार करके पलट गए थे खान
अब्दुल कादिर खान ने 2004 में उत्तर कोरिया को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी बेचने के आरोप स्वीकार भी कर लिए थे, लेकिन फिर वे मुकर गए। इसके बाद उन्हें नजरबंद भी किया गया, लेकिन इस्लामाबाद हाईकोर्ट के आदेश और जनदबाव के बाद उन्हें आजाद करना पड़ा।

आईएसआई ने घोषित कर दिया था अयोग्य
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद जब पाकिस्तान भी भारत की तरह अपने परमाणु कार्यक्रम को गति देने में जुटा था, उस दौरान अब्दुल कादिर खान ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को एटम बम बनाने के बारे में चिट्ठी लिखी। पीएमओ में चिट्ठी पहुंची, लेकिन पाकिस्तान में अब्दुल कादिर खान के बारे में कोई नहीं जानता था। भुट्टो नेे आईएसआई को उनका बैकग्राउंड चेक करने की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन आईएसआई ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। अब्दुल कादिर खान की चिट्ठी से भुट्टो इतने प्रभावित थे कि उन्होंने और ज्यादा जानकारी पता करने के लिए पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन की टीम को उनके पास भेजा। अब्दुल कादिर खान से मिलकर लौटी कमीशन की टीम ने अपना फीडबैक पाक पीएम को दिया। इसके बाद भुट्टो ने कादिर खान से मुलाकात तय की और कादिर खान नीदरलैंड की एक कंपनी से छुट्टी लेकर पाकिस्तान चले गए और एटम बम तैयार किया।

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