
एेसा लगने लगा है कि सत्तारूढ़ बीजेपी के एमएलए बागी होने लगे हैं. गुना में एक सरकारी कार्यक्रम में जिले की चाचौडा़ विधानसभा सीट से पार्टी की एमएलए ममता मीणा ने मंच पर ही प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव को खरी खरी सुना दी.
प्रदेश के एक आईपीएस अफसर की पत्नी ममता इस बात से खफा थीं कि उनके विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए भूमि पूजन भी गुना जिला मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में किया जा रहा है. वहीं प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव का तर्क था कि अगर उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर भूमि पूजन किया तो उन्हें पूरा समय सिर्फ इसी काम के लिए देना पड़ेगा.
ममता मीणा मंत्री को खरी-खरी सुनाकर तमतमाती हुई मंच से चली गई. असल में ममता का यह गुस्सा तात्कालिक नहीं था, वे मंत्री के रवैए और जिला प्रशासन के अफसरों के व्यवहार से पहले से परेशान हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री तक से इस बात की शिकायत की थी. उनके मन में समाई पीड़ा और हताशा अब बगावत बन रही है. विधायक की शिकायत पर भी कलेक्टर का कुछ नहीं हुआ क्योंकि वे एक मंत्री के दामाद हैं.
प्रदेश की राजधानी भोपाल के चार पार्टी विधायकों ने सरकार का संरक्षण प्राप्त कहे जाने वाले भोपाल नगर निगम के कमिश्नर और युवा आईएएस अफसर तेजस्वी नायक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अपनी ही सरकार की किरकिरी करते हुए इन विधायकों ने कमिश्नर के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस तक दे दिया. इस पर विधानसभा सचिवालय कमिश्नर से पूछताछ कर रहा है. इसे विधायक गण भले ही सामान्य बात मान रहे हों लेकिन विपक्ष सहित पूरे सियासी गलियारों में इसे बीजेपी विधायकों की बगावत करार दिया जा रहा है. लेकिन अभी तक सरकार ने कमिश्नर से कोई जवाब तलब नहीं किया है. लोगों को लगता है कि इससे तो बगावत और बढ़ेगी.
राज्य विधानसभा में जब सरकार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के इस दावे को झुठला रही थी कि प्रदेश में किसानों की मौत हो रही है, तब उज्जैन जिले से चुने गए एक बीजेपी एमएलए ने खड़े होकर कहा कि उनके इलाके में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. सरकार कि कितनी किरकिरी हुई होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पिछले कुछ दिनों से पार्टी विधायकों से वन टू वन बात कर रहे हैं. इसमें विधायक जिस तरह से मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं. उससे लग रहा है कि बगावत का सुर अभी और तेज होगा.
असल में पार्टी ने अपनी सोच को ही बदल लिया है. बीजेपी को उसके चाल, चरित्र और चेहरे के चलते पार्टी विथ डिफरेंस का तमगा दिया जाता रहा है. लेकिन कुछ दिनों से इसका चरित्र पार्टी विथ कनवीनिएंट होता जा रहा है.
पार्टी के कर्ता-धर्ता अपनी सुविधा के अनुसार न सिर्फ काम कर रहे हैं, बल्कि फैसलों को भी अंजाम दे रहे हैं. शायद यही बदलाव पार्टी के मुश्किलें खड़ी कर रहा है.