अतिक्रमण विरोधी अभियान में राजनीति हावी थी

भोपाल। 'अतिक्रमण अपराध है। भोपाल नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने की पहल तो अच्छी की है, लेकिन कार्रवाई मुंह देखकर नहीं की जानी चाहिए। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में राजधर्म का पालन किया जाए। ऐसा नहीं हो कि बीजेपी नेता का अतिक्रमण है तो छोड़ दिया और कांग्रेस या अन्य पार्टी के नेता का अमिक्रमण है तो जबरन हटा दिया। किसी का फोन आने पर कार्रवाई रोकना गलत है। राजनीतिक दबाव में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई तो उसका कोई फायदा नहीं मिलेगा। पिछले एक सप्ताह तक चली नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की मुहिम में यही देखने को मिला, मेरे पास शिकायतें भी आईं। मैं इंदौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का अतिक्रमण भी हटवा दिया था। ऊपर से फ्री हैंड मिले तो ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ढंग से हो पाएगी।'

'बुलडोजर मंत्री' के नाम से ख्यात गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने नगर निगम की एक सप्ताह की अतिक्रमण हटाने की मुहिम के अंतिम दिन मुहिम का यह निष्कर्ष निकाला। उन्होंने निगम की इस मुहिम को लेकर किए गए सभी सवालों के जवाब बेबाकी से दिए।

सवाल- नगर निगम की हफ्ते भर की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को आप किस रूप में देखते हैं?
जवाब- पूरी कार्रवाई में राजनीति हावी थी। राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई का फायदा नहीं मिलता।

सवाल- आपको इस कार्रवाई में क्या कमी नजर आती है?
जवाब- अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई योजना बनाकर की जानी चाहिए। अतिक्रमणकर्ता को तीन-चार दिन की मोहलत देना चाहिए, ताकि वह तैयारी कर सके। वर्ष 1991 में मैंने बड़े तालाब किनारे बसे छह हजार लोगों को गांधी नगर में शिफ्ट करवाया था। बिना योजना के इतनी बड़ी शिफ्टिंग संभव नहीं थी।

सवाल- करीब 25 साल पहले आप इतनी दमदारी से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कैसे कर पाए।
जवाब- मुझे तत्कालीन मुख्यमंत्री से फ्री हैंड मिला हुआ था। मैंने भी अधिकारियों को पूरी स्वतंत्रता दे रखी थी। तभी प्रदेश भर में अतिक्रमण हटाया जा सका। मैंने इंदौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री की ट्रैक्टर एजेंसी का अतिक्रमण, सागर में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के करीबी संतोष साहू समेत अन्य रसूखदारों का अतिक्रमण हटवाया था। कार्रवाई ढंग से हो इसके लिए ऊपर से फ्री हैंड मिलना जरूरी है।

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