भोपाल। भाजपा के संगठन चुनावों को लेकर अंदरूनी असंतोष सामने आया है। अभी तक 46 जिलों में जिलाध्यक्ष चुने जा चुके हैं। करीब 20 जिलों में विवाद की स्थिति है। पार्टी का दावा है कि सभी फैसलों में रायशुमारी को निर्णायक माना गया है, लेकिन विरोधी इससे इनकार कर रहे हैं। उनका तर्क है कि झाबुआ समेत कई आदिवासी जिलों में गैर आदिवासी अध्यक्ष बना दिए गए हैं। सागर में पार्टी संविधान के उलट निर्णय लिया गया। शिकायतों की फेहरिस्त लंबी है।
खरगोन : पूर्व विधायक बाबूलाल महाजन को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। 2003 में खरगौन से विधायक रहे महाजन का टिकट भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते 2008 में कट गया था। फिर भी उन्हें जिले की कमान दे दी।
झाबुआ : संसदीय चुनाव में हार के बाद भी पार्टी ने देवेन्द्र भावसार को जिलाध्यक्ष बनाया। इससे स्थानीय स्तर पर नाराजगी बढ़ गई है। क्षेत्र के लोग कह रहे हैं कि जिले में ही भावसार को कोई नहीं जानता।
इंदौर : यहां कैलाश शर्मा को नगर अध्यक्ष बनाया गया। रायशुमारी में उनका नाम तीसरे नंबर पर था, फिर भी उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया। स्थानीय स्तर पर इसे लेकर खासी नाराजगी है।