भोपाल। 'पत्रकार आखिर पत्रकार ही होता है, उसे कभी मित्र न समझें। ध्यान रखें उनके सामने अपने विधायक के बारे में कोई सतही बात और कमेंट करने की बजाए काम की ही बात करें।'
ये हिदायत विधायकों के निज सहायकों को आरएसएस की संस्था रामभाऊ म्हालगे प्रबोधिनी (मुंबई) ने दी। मौका था विधानसभा भवन के मानसरोवर सभागार में शुक्रवार से शुरू हुए दो दिनी कार्यशाला का, जिसमें निज सहायकों को स्मार्ट वर्किंग से जुड़े टिप्स दिए गए।
इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि काला चश्मा लगाकर आंगतुकों से बात करने की बजाए नम्रता दिखाएं, हेयर स्टाइल व ड्रेस चयन में सावधानी बरतें। संस्था के कार्यकारी निदेशक रविंद्र साठे ने कहा कि निज सचिव बेहतर व्यवहार, बातचीत, सकारात्मकता, बॉडी लैंग्वेज, समय नियोजन, निष्ठा से अपने विध्ाायक की छवि निखारने का काम कर सकते हैं।
दफ्तर आने वाले हर कागज को पूरा पढ़ने के बाद प्रतिक्रिया दें। कुछ निज सहायकों ने पूछा कि उन्हें ऐसा कोई तरीका बताया जाए जिससे उनके विधायक के सवाल विस में लगे और उस पर चर्चा भी हो।
विस उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि निज सहायक इस तरह काम करें कि लोगों का विधायिका के प्रति विश्वास बना रहे। पिछले दिनों कुछ घटना हुई हैं, जिससे विश्वास का संकट उभरा है।
सिंह ने विंस्टन चर्चिल का कथन उद्धत किया कि 'लोकतंत्र सरकार चलाने का सबसे रद्दी तरीका है, लेकिन इससे बेहतर तरीका दूसरा भी कोई नहीं है। विस के प्रमुख सचिव भगवानदेव इसरानी ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे भी होंगे। साठे ने कहा कि निज सहायकों में नम्रतापूर्ण व्यवहार की जरूरत है। इससे विधायक को मदद मिलती है।
निज सहायकों की सादगी, हेयरस्टाइल, ड्रेस आदि इसमें असरदार होते हैं। साठे ने निज सचिवों को कार्पोरेट शैली में कामकाज करने के तरीके दिलचस्प अंदाज में बताए। उन्होंने सिर, कमर व घुटनों को छूने के लिए कहा, फिर इनका क्रम बदलकर, कागजों पर लिखे सवाल हल कराकर मानसिक चैतन्यता की परीक्षा ली। यह एप्टीट्यूड टेस्ट था, हालांकि इसमें कई बार पीए फेल हुए। जब उन्होंने पूछा कि कौन मानता है कि उसका व्यक्तित्व परिपूर्ण है तो किसी पीए का हाथ नहीं उठा।