
एक हिंदी अखबार के मुताबिक जांच में 47 युवकों के जाति या धर्म सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन फर्जी सर्टिफिकेटों पर पटवारी से लेकर तहसीलदार तक के हस्ताक्षर हैं। इन युवकों की भर्ती इसी साल जुलाई में सिख रेजीमेंट की ओर से हिसार में आयोजित रैली में हुई थी। बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़े में पकड़े गए युवकों में ज्यादातर जींद और फतेहाबाद जिले के हैं।
ऐसे बनाए फर्जी कागजात
पकड़े गए युवकों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने नौकरी की खातिर कागजात में अपना धर्म और जाति बदला था। उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने गांव, जाति और धर्म बदलने संबंधी फर्जी कागजात तैयार कराए। धर्म बदलने वाले चार युवाओं ने तो गांव भी बदल लिए। नेहरा गांव चुना, जहां जट सिख रहते हैं। ताकि किसी को शक ना हो।
पहले गांव के सरपंच नंबरदार को विश्वास में लिया फिर फर्जी आधार कार्ड तैयार किया। फार्म पर सरपंच नंबरदार की तस्दीक करा फर्जी आधार दिखाकर पटवारी की रिपोर्ट करा ली। तहसील से जाति रिहायशी प्रमाण पत्र बनवा लिया। जिन युवकों के गांव सही हैं, उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के लिए सरपंच नंबरदार के फर्जी मुहर और साइन बना लिए। बताते हैं कि फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने में हर युवक ने 2 से 4 लाख रुपए तक खर्च किए गए।