नरेन्द्र सिंह तोमर: रेल की छत पर किया था सफर, अब केस ख़ारिज कराना चाहते हैं

ग्वालियर। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने ऊपर नैरोगेज जीआरपी में दर्ज केस को समाप्त कराने के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। रेलवे कोर्ट व जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया है कि केस चलने लायक नहीं है। इसलिए रेलवे कोर्ट की ट्रायल रोककर केस को समाप्त किया जाए। हाईकोर्ट इस याचिका की सुनवाई अगले हफ्ते कर सकता है।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र सिंह तोमर व प्रभात झा ने नैरोगेज को ब्रॉडगेज में बदलने के लिए श्योपुर तक रेलवे के नियमों को तोड़ते हुए सफर किया था। उन्होंने छत पर सफर किया था और लाउड स्पीकर से ध्वनि प्रदूषण फैलाया था। जीआरपी नैरोगेज ने दोनों पर धारा 188 व कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का केस दर्ज किया था। जब केस की ट्रायल शुरू हुई तो मध्यप्रदेश सरकार ने रेलवे कोर्ट में एक आवेदन पेश किया कि दोनों पर दर्ज केसों को जनहित में वापस लेना चाहते हैं, क्योंकि ये दोनों केस काफी माइनर हैं। 

रेलवे कोर्ट ने शासन की इस मांग को खारिज कर दिया था और ट्रायल शुरू कर दी थी। इसके बाद जिला कोर्ट में अपील की गई और अपील का निराकरण करते हुए रेलवे कोर्ट में फिर से जाने का आदेश दिया गया था। दोनों के ऊपर दर्ज केसों को वापस लेने के लिए फिर से आवेदन किया, जिसे कोर्ट ने अमान्य कर दिया था। रेलवे कोर्ट व जिला कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नरेन्द्र सिंह तोमर के अधिवक्ता राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि इस याचिका की सुनवाई अगले हफ्ते हो सकती है। धारा 188 के तहत थाने में केस दर्ज नहीं हो सकता था। कलेक्टर को परिवाद दायर करना था। याचिका में इसी को आधार बनाया है। केंद्रीय मंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सक्सेना व पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी पैरवी करेंगे।

रेलवे कोर्ट में तोमर के केस की ट्रायल की स्थिति
नरेन्द्र सिंह तोमर व भाजपा के उपाध्याक्ष प्रभात झा के खिलाफ ट्रायल चल रही है। पुलिस ने 26 गवाह बनाए हैं, जिनमें से 16 गवाह अपनी गवाही दर्ज करा चुके हैं।
ग्वालियर, मुरैना के कलेक्टर अपनी गवाही दर्ज करा चुके हैं। अब मुख्य गवाहों में दो जांच अधिकारी सहित जौरा, सबलगढ़ के तहसीलदार की गवाही होनी है। उनके साथ दो हवलदारों की भी गवाही होनी है।
ट्रायल आखिरी स्टेज पर पहुंच गई है। इसके महत्वपूर्ण गवाह हो चुके हैं।
धारा 188 व कोलाहल अधिनियम नियंत्रण में 3 महीने की सजा का प्रवाधान है
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