
इस मामले में तहसीलदारों के 25 पदों पर अवैध नियुक्ति देने की आपत्ति के बाद भी राजस्व विभाग द्वारा इसे सहमति दे दी गई है। तहसीलदारों की आपत्ति के बाद राजस्व विभाग ने जांच के बाद यह माना है कि राजस्व निरीक्षक और पटवारी से नायब तहसीलदार के पद पर हुई परीक्षा के बाद 14 अफसरों की पदस्थापना 92 पदों की भर्ती के बाद हुई है। ऐसे में सवाल यह उठाया जा रहा है कि जब परीक्षा ही 92 पदों के लिए हुई थी तो इससे अधिक पदों पर नियुक्ति कैसे दे दी गई। आपत्ति करने वाले तहसीलदारों का कहना है कि राजस्व विभाग ने हाईकोर्ट के उस आदेश को आधार बनाकर इन 14 अफसरों की नियुक्ति दे दी जिसमें कहा गया था कि कोर्ट में आवेदन करने वालों की आपत्तियों पर विचार किया जाए।
यह है पूर्व राजस्व मंत्री वर्मा का आदेश
पूर्व राजस्व मंत्री ने इन पदों पर नियुक्ति के मामले में कहा था कि जिन नायब तहसीलदारों ने जूनियर प्रशासकीय सेवा नियम 2011 के अंतर्गत न्यूनतम सेवा अवधि पूर्ण नहीं की है उन्हें पदावनत करने की कार्रवाई करते हुए संबंधितों के न्यायालीन प्रकरणों में अपील की जाए। साथ ही यदि 1997 में भरे गए 92 पदों पर नियुक्ति के पश्चात अब तक की गई पदोन्नतियों में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है तो अधिनियम के उल्लंघन में की गई अनियमित नियुक्तियां शून्य की जाएं।