अतिथि शिक्षकों को क्यों भूल गए शिवराज

देर से बोले, बहुत खूब बोले। आखिरकार मुख्यमंत्री को टीचरो की ताकत, समझ मे आगई। फिर भी जिक्र नही किया। बीते दिन मुख्यमंत्री अपने निवास पर अध्यापको को सम्बोधित कर रहे थे। जिन्होने संकट की घडी मे कदम दर कदम साथ दिया। उनका जिक्र तक नही किया।

यहा आपको बताते चलें प्रदेश के अध्यापकों ने वेतन विसंगति संबिलयन सहित बिभिन्न मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हडताल कर स्कूलो मे तालाबंदी कर दी थी। और संपूर्ण प्रदेश के स्कूलो मे ताले लटक रहे थे, जिससे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता धूमिल हो रही थी। क्योकि छात्र /छात्राऐ। स्कूलो के बाहर अपने शिक्षक बैठकर इंतजार कर वापिस घर आकर अपने माता पिता को शिक्षा विभाग और मुख्यमंत्री की जंग की दास्तान सुनाते, थे। 

इस संकट की घडी मे प्रदेश के स्कूलो मे मजदूरो से कम मानदेय पर शिक्षण कार्य सम्पन्न करा रहे अतिथि शिक्षको ने स्कूलो के ताले खोले और समय पर बिषयबार शिक्षण कार्य सम्पन्न कराया। जिससे शिक्षण कार्य मे कोई रुकावट नही आई। इस तरह प्रदेश के मुखिया की लोकप्रियता पर आॅच नही आई और प्रदेश सरकार का कदम दर कदम साथ दिया। 

अध्यापक सवर्ग की मांगो का निराकरण करते हुये 6 वाॅ वेतनमान देने की घोषणा की लेकिन अतिथि शिक्षको की समास्याओ को नजरअंदाज कर दिया। 6 वाॅ वेतन मिलने की खबर से उत्साहित अध्यापक वर्ग ने बीते दिन मुख्यमंत्री निवास पहुॅचकर धन्यवाद आभार व्यक्त किया। जिससे शिवराज सिंह चौहान गदगद हो गये। अपने निवास पर अध्यापको को सम्बोधित करते हुये। मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापक मन लगाकर पढाई करे सरकार अध्यापको का ध्यान करेगी क्योकि शिक्षक ही इंसान का भबिष्य बनाता है। अगर नागरिक शिक्षित और स्वास्थ रहेगा, तो प्रदेश खुशहाल होगा। शिक्षक ही मनुष्य का जीवन सम्भलता है। 

आखिरकार सीएम को यह बात समझ मे आ गई। की शिक्षा बिभाग ही प्रदेश का अगामी बिधानसभा चुनाव की नैया पार करा सकते है। फिर भी अतिथि शिक्षको का जिक्र तक नही किया। इस बेवफाई से गहरा दुख पहुॅचा अतिथि शिक्षको को, जबकि मजदूरो से कम मानदेय पर शिक्षण कार्य सम्पन्न करा रहे है। अपने निवास पर अध्यापक वर्ग का आभार स्वीकार करते हुये। गदगद हो गये। शिवराज सिंह चैहान। और अधिक खुशी मे बोल गये। अध्यापक इतनी पढाई, करो कि मध्य प्रदेश बोले जिन्दाबाद।

गौरवतलव है। कि शिक्षक बिहीन स्कूलो मे मजदूरो से कम मानदेय पर डिग्रीधारी अतिथि शिक्षक शिक्षण कार्य सम्पन्न करा रहे है। चूॅकि अतिथि शिक्षको ने प्रदेश के मुखिया से कोई सरकारी खजाना नही मांगा। केबल स्थायी संविदा शिक्षक बनाने की मांग की। क्योकि बर्षो से शिक्षण कार्य सम्पन्न कराते आ रहे है। जिनके पास रोजगार का अन्य कोई चारा नही है। कुछ अतिथि शिक्षक वेरोजगार हो गये। ऐसे मे डिग्रीधारी डीएड, बीएड, अतिथि शिक्षको को संविदा शिक्षक बनाये जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। एवं मानदेय बढाया जाये। इसके लिये माननीय हाईकोर्ट राज्य सरकार को आदेश कर चुका है। फिर भी नजरअंदाज किया जा रहा है। जबकि शिवराज सिंह चैहान अधिक खुशी मे ये भूल गये। कि अकेला चना पहाड नही फोड सकता है।
मप्र के सभी अतिथि शिक्षक 

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