बिहार से लौटे कैलाश विजयर्गीय, संभाली किराने की दुकान

इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार चुनाव में बड़ी भूमिका निभाकर लौटे कैलाश विजयवर्गीय ने आज अपनी किराने की दुकान संभाली। वो प्रतिवर्ष धनत्रयोदशी के दिन अपनी किराने की दुकान संभालते हैं। यह उनकी पुश्तैनी किराने की दुकान है।

विजयवर्गीय लगभग डेढ़ घंटे तक दुकान पर बैठे। इस दौरान उन्होंने ग्राहकों को सामान दिया, हिसाब देखा और पैसे भी लिए। गौरतलब है कि उनकी इस दुकान की शुरुआत उनकी माताजी ने की थी। स्कूल और कॉलेज के जमाने में वे अपनी माताजी का हाथ बंटाने के लिए यहां बैठा करते थे। विजयवर्गीय ने बताया कि जब वे दुकान पर बैठते थे तब 300 से ज्यादा वस्तुओं के दाम मुंह जुबानी याद रहते थे। अब सिर्फ धनतेरस के दिन दुकान पर बैठता हूं, इसलिए किसी चीज का दाम याद नहीं है। ग्राहकों के आने पर उन्होंने मैनेजर से पूछकर पैसे लिए।

विजयर्गीय की यह दुकान नंदानगर स्थित उनके घर के पास में ही है। परिवार के संघर्ष के दिनों में उनकी माताजी अयोध्याबाई ने ये दुकान लगाई थी। आसपास के लोग उन्हें काकीजी कहकर पुकारते थे, इसलिए दुकान का नाम काकीजी की दुकान पड़ गया। उम्र के कारण अब माताजी दुकान नहीं संभालती तो विजयवर्गीय और उनके परिवार ने भरोसेमंद व्यक्ति को दुकान चलाने की जिम्मेदारी दे दी है।
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