अभय मिश्रा। मध्यप्रदेश की बीेजपी सरकार पंचायतीराज के प्रतिनिधियों को अधिकार मांगने पर लाठीयों से पिटवा रही है जबकि शहर सरकार नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम पर मेहरबान होकर उनके अधिकार बढ़ाकर मद की राशि दोगुनी से भी अधिक करने जा रही है। सरकार की मंशा साफ दिख रही है कि शहर सरकार को दुलार के साथ अधिकार और ग्रामीण सरकार को लाठी के साथ दुत्कार।
सरकार शहर सरकार नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत को ओर अधिक सशक्त बनाने के लिए महापौर की राशि 50 लाख से बढाकर 5 करोड, एमआईसी की राशि 2 करोड से बढाकर 10 करोड और नगर पालिका परिषदों की राशि 2 करोड से बढ़ाकर 10 करोड से भी अधिक करने का मसौदा तैयार कर चुकी है बस मुख्यमंत्री को घोषणा करना शेष हैं।
पंचायतीराज के जनप्रतिनिधि पिछले तीन माह से अपने अधिकारों के लिए सर्घष कर रहे हैं 28 अक्टूबर को अपने अधिकारों की मांग के लिए राजधानी भोपाल में जमा हुए तो सरकार ने उन्हें लाठियों से पिटवाया ओर पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने मीडिया में बयान देकर साफ कर दिया कि पंचायत प्रतिनिधियों को नही मिलेगे उनके अधिकार।
उसके विपरीत प्रदेश की बीजेपी सरकार शहर सरकार को पहले से भी अधिक अधिकार सपन्न बनाने की तैयारी कर चुकी है। सरकार ने यह साफ कर दिया हैं कि वह ग्रामीण विकास की विरोधी सरकार हैं, साथ ही प्रदेश के 75 प्रतिशत मतदाता जो कि ग्रामीण हैं उनके विकास के प्रति कतई फिक्रमंद नही है। प्रदेश में सर्वाधिक जनप्रतिनिधि भी ग्रामीण क्षेत्र से चुनकर आते है सरकार उन जनप्रतिनिधियों की भी उपेक्षा कर रही है।
पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों से अपील करता हूं कि सरकार अपनी ग्रामीण विकास विरोधी नीति साफ कर चुकी हैं अब फैसला आप को करना हैं कि अपने अधिकारो की लडाई के लिए लंबा सर्घष करने के लिए तैयार रहे।
