भोपाल। मप्र का किसान इस बार मीठी मीठी बातों में आने के मूड में नहीं दिख रहा। वो उबल रहा है और उचित मुआवजे से कम पर समझौते के लिए तैयार नहीं होने वाला। किसानों ने खंडवा में दूध और सब्जी की सप्लाई बंद करवा दी।
यह किसानों का असहयोग आंदोलन है जो 15 अक्टूबर आधी रात से शुरू हो गया। इसके चलते बुधवार आधी रात से शहर के अधिकांश मार्गों की नाकाबंदी कर गांवों से कोई भी खाद्य सामग्री और दूध शहर में बिक्री के लिए नहीं आने दिया जा रहा।
भारतीय किसान संघ के बैनर तले आंदोलित किसानों की चेतावनी के बाद बुधवार को विधायक देवेंद्र वर्मा ने धरना स्थल कृषि उपज मंडी पहुंच कर किसान संघ के पदाधिकारियों से चर्चा की थी। उन्होंने किसानों को फसल की बर्बादी का मुआवजा दिलवाने का आश्वासन दिया। इसके लिए शासन को प्रस्ताव बना कर भेज दिए जाने और राशि आते ही वितरण की बात कही है।
प्रशासन का सर्वे कागजी
फसलों की बर्बादी का मुआवजा सही नहीं होने और इसकी एक कॉपी प्रभावित किसान को नहीं दिए जाने से नाराज किसानों ने कहा कि प्रशासन का सर्वे कागजी है। जिले में डेढ़ लाख हैक्टेयर से अधिक रकबे में फसलें प्रभावित हुई हैं लेकिन प्रशासन ने मात्र 70 हजार हैक्टेयर में नुकसानी का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इससे स्पष्ट है कि सर्वे व्यावहारिक नहीं है। अब आंदोलन के माध्यम से ही आवाज बुलंद की जाएगी।
भारतीय किसान संघ के मीडिया प्रभारी सुभाष पटेल और प्रांतीय सदस्य रामचंद्र चाचरिया ने बताया कि किसानों द्वारा एक सप्ताह से तहसील और जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों से चर्चा हो चुकी है लेकिन किसानों की समस्या दूर नहीं हो रही है। किसानों की मांग है कि जिले को सूखाग्रस्त घोषित करे, बीमे की राशि अविलंब दे, आगामी 6 माह तक बिजली बिलों की वसूली नहीं करे और प्रभावित किसानों के खेत में जाकर सर्वे किया जाए। इन मांगों को नजरंदाज किए जाने से किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने असहयोग आंदोलन का निर्णय लिया। अब दूध, सब्जी, अनाज सहित अन्य खाद्य सामग्री बिक्री के लिए शहर में नहीं आने दी जाएगी।
