नईदिल्ली। एम्स सहित केंद्र सरकार की स्थायी नियुक्तियों में संविदा पर काम करने वाले कर्मियों को भी उम्रसीमा में छूट का लाभ मिलेगा। हाईकोर्ट ने यह फैसला अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की अपील को खारिज करते हुए दिया है।
एम्स का तर्क
एम्स ने अपनी अपील में कहा था कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाले किसी महकमे में स्थायी नौकरी करने वाला ही उम्रसीमा में छूट पाने का हकदार है। इसी आधार पर एम्स ने संविदा पर काम करने वाली एक जूनियर फिजियोथेरेपिस्ट को अधिक उम्र बताकर स्थायी नौकरी देने से इनकार कर दिया था। जबकि वह साक्षात्कार में सफल हुई थी।
जस्टिस जीएस सिस्तानी और संगीता धींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के किसी महकमे में ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी भी केंद्रीय नियुक्ति में उम्रसीमा में छूट पाने के हकदार हैं। पीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण (कैट) के फैसले को बरकरार रखते हुए एम्स की अपील को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया
हाईकोर्ट ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के फैसले को आधार बनाया है। हाईकोर्ट ने एम्स में ठेके पर काम कर रही रुचिका मदान को उम्रसीमा में छूट का लाभ देकर जूनियर फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर स्थायी नौकरी देने का निर्देश दिया है। बता दें कि नियुक्ति नियमावली के नियम- 6 के तहत केंद्रीय सेवाओं में होने वाली नियुक्ति में केंद्र के किसी भी विभाग में कार्यरत कर्मियों की उम्रसीमा में पांच साल तक छूट का प्रावधान है।