नई दिल्ली। दादरी में कथित तौर पर गौमांस खाने की अफवाह के बाद एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से प्राथमिकी दर्ज करने में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव नहीं करने को कहा और कहा है कि समय पर आरोपपत्र दाखिल करने से और जल्दी सुनवाई से विभिन्न समुदायों में विश्वास बहाल होता है।
गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा कि आपराधिक दंड संहिता के तहत एक पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध की किसी सूचना के आधार पर मामला दर्ज करने के लिए बाध्य होता है और अधिकार क्षेत्र देखे बिना प्राथमिकी दर्ज करनी होगी। सोमवार को भेजे गये परामर्श में कहा गया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2011-12 में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए, समय पर आरोपपत्र दाखिल करने के लिए और अल्पसंख्यकों के बीच विश्वास बहाली के लिहाज से तेजी से मुकदमा चलाने के लिए त्वरित कार्रवाई की सिफारिश की है। इस संबंध में गौरतलब है कि प्राथमिकी दर्ज करना पूरी प्रक्रिया का पहला चरण है।
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि सभी संबंधित विभागों, संगठनों और अन्य के बीच सख्ती से अनुपालन के लिए दिशानिर्देश की जानकारी दी जाए।
